script३ महीने में 80 हजार लूम्स मशीनें भंगार में बिक गईं : फोगवा | 80 thousand Looms machines sold in scraps in 3 months: Phogwa | Patrika News

३ महीने में 80 हजार लूम्स मशीनें भंगार में बिक गईं : फोगवा

locationसूरतPublished: Oct 14, 2017 04:16:16 am

जीएसटी के कारण वीवर्स की हालत पतली हो गई है। केन्द्र सरकार की ओर से कोई सुनवाई नहीं होने का कारण कई लूम्स कारखाने बंद होने की कगार पर हैं। इन हालात मे

80 thousand Looms machines sold in scraps in 3 months: Phogwa

80 thousand Looms machines sold in scraps in 3 months: Phogwa

सूरत।जीएसटी के कारण वीवर्स की हालत पतली हो गई है। केन्द्र सरकार की ओर से कोई सुनवाई नहीं होने का कारण कई लूम्स कारखाने बंद होने की कगार पर हैं। इन हालात में फैडरेशन ऑफ गुजरात वीवर्स एसोसिएशन (फोगवा) ने इस बार काली दिवाली मनाने का फैसला किया है।

फोगवा के प्रमुख अशोक जीरावाला ने बताया कि जीएसटी के नियमों के कारण वीवर्स परेशान हैं। पिछले तीन महीने में 80 हजार मशीनें भंगार में बिक गई हैं। लाखों लोग बेरोजगार हो गए। वीवर्स सरकार से इनपुट टैक्स रिफंड की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। विदेश से आ रहे कपड़े सस्ते होने के कारण घरेलू उद्योग चैपट हो रहा है। कुछ महीने पहले तक आयातित मशीन पर सरकार 30 प्रतिशत सबसिडी देती थी।

इसे घटाकर 10 प्रतिशत कर देने से नई मशीनें आना बंद हो गईं। कपड़ा व्यापार चौपट होने से व्यापारी बेहाल हैं, लेकिन सरकार जबरदस्ती मार्केट पर लाइटिंग के लिए दबाव डाल रही है। जीरावाला ने कहा कि व्यापार की दयनीय हालत को देखते हुए फोगवा ने इस बार काली दिवाली मनाने का फैसला किया है। वीवर्स लाइटिंग आदि से दूर रहकर विरोध व्यक्त करेंगे। फोगवा के सदस्य मयूर गोलवाला ने बताया कि यार्न पर ड्यूटी 18 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दी गई, लेकिन अभी तक सक्र्युलर नहीं आने से यार्न व्यवसायी 18 प्रतिशत के अनुसार ही बेच रहे हैं।

यार्न की खरीद पर रोक, कारोबार चौपट

जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में यार्न पर ड्यूटी 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दी गई, लेकिन इस बारे में अभी तक कोई सक्र्युलर नहीं आने से यार्न व्यवसायियों का करोड़ों का व्यापार चौपट हो गया। जीएसटी काउंसिल की पिछले शुक्रवार को हुई मीटिंग के बाद वीवर्स ने यार्न खरीदना बंद कर दिया है, क्योंकि यार्न व्यवसायी 18 प्रतिशत जीएसटी के अनुसार ही माल बेच रहे हैं। वह नया परिपत्र आने के बाद ही 12 प्रतिशत के अनुसार यार्न बेचेंगे।

वीवर्स का कहना है कि यदि वह अभी यार्न का ऑर्डर देते हैं तो उन्हें 18 प्रतिशत के अनुसार जीएसटी चुकाना पड़ेगा और सक्र्युलर आने के बाद 12 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। इसलिए कुछ दिन सक्र्युलर का इंतजार करना उचित है। यार्न व्यवसायी विनय अग्रवाल ने बताया कि सक्र्युलर नहीं आने के कारण व्यापार रुक गया है। दिवाली के सीजन में व्यापार रुक जाने से उद्यमियों की हालत पतली है।

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