जिंदगी फाउंडेशन फॉर एचआइवी फ्री जनरेशन के प्रमुख और एचआइवी, एड्स के चिकित्सक डॉ. केतन राणपरिया ने बताया कि एचआइवी को लेकर अब डरने की जरूरत नहीं है। लगातार हो रहे शोध के कारण एचआइवी के मरीज सामान्य और लंबी जिंदगी जी सकते हैं। उन्होंने बताया कि विश्व में 3.7 करोड़ लोग एचआइवी की बीमारी के साथ जी रहे हैं। जबकि भारत में यह आंकड़ा करीब 21 लाख है।उ एचआइवी के मामले में भारत विश्व में तीसरे नंबर है। 1.66 लाख मरीजों के साथ गुजरात देश में चौथे नंबर पर है। सूरत में 30 हजार लोग एचआइवी के साथ जी रहे हैं। डॉ.राणपरिया ने बताया कि भारत ने वर्ष 2020 तक 90-90-90 का लक्ष्य हासिल करने का लक्ष्य रखा है। पहला 90 यानि भारत में एचआइवी से ग्रस्त लोगों में से 90 फीसदी लोगों की पहचान करना, दूसरा 90 यानि एचआइवी ग्रस्त 90 फीसदी लोगों को नियमित दवाइयां खाने के लिए प्रेरित करना और तीसरा 90 यानि 90 फीसदी मरीजों में एचआइवी के वायरस को नियंत्रित रख उन्हें स्वस्थ और बेहतर जीवन देना है। सूरत इस लक्ष्य के काफी करीब पहुंच गया है। एचआइवी ग्रस्त मरीजों की पहचान करने में सूरत ने लक्ष्य हासिल कर लिया है तो मरीजों को नियमित दवाइयां खाने के लिए प्रेरित करने में 74 फीसदी सफलता मिली है। वहीं, एचआइवी ग्रस्त 88 फीसदी लोग स्वस्थ और सामान्य जिंदगी जी रहे है। गुजरात की स्थिति देखें तो एचआइवी ग्रस्त मरीजों की पहचान करने में लक्ष्य प्राप्त हो चुका है तो नियमित दवाइयां खाने के लिए प्रेरित करने के लक्ष्य में गुजरात 80 फीसदी पर पहुंचा है। जबकि एचआइवी ग्रस्त 1.66 लाख मरीजों में से 85 फीसदी मरीज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
वायरस को काबू में रखने से संक्रमण नहीं फैलता
डॉ. केतन राणपरिया ने बताया कि एचआइवी ग्रस्त मरीज में एक मिलीग्राम खून में यदि वायरस की संख्या 200 से अंदर रखी जाए तो उस व्यक्ति से संक्रमण का खतरा नहीं रहता और वह सामान्य रूप से दाम्पत्य जीवन जी सकता है। एचआइवी ग्रस्त महिला स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। इसके लिए मरीजों को दिन में सिर्फ एक गोली लेनी होती है। एक गोली से व्यक्ति एचआइवी के वायरस को नियंत्रण में रख कर स्वस्थ जीवन जी सकता है।