अडाजण निवासी सविता शाह की 29 अप्रेल, 2013 को मुंबई निवासी राहुल शाह के साथ हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद पति राहुल ने प्रताडि़त करना शुरू किया और उसको घर से निकाल दिया। पीहर में रह रही सविता ने 31 मई, 2016 को पति के खिलाफ कोर्ट में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई में वक्त लग सकता है, यह ध्यान में रखते हुए सविता ने अंतरिम राहत के लिए ट्रायल कोर्ट से गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने याचिककर्ता खुद व्यवसाय कर के कमा रही है, जो अंतरिम याचिका दायर की गई है वह सिर्फ मामले को डिले करने के उद्देश्य से की गई है, यह मानते हुए याचिका नामंजूर कर दी थी। इसके बाद सविता ने सेशन कोर्ट में अधिवक्ता प्रीति जोशी के जरिए अपील याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता जोशी ने उनकी मुवक्किल को भरण-पोषण की जरूरत के समर्थन में दलीलें पेश की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सेशन कोर्ट ने निचली कोर्ट के फैसले को सेटेसाइड कर विवाहिता की याचिका मंजूर करते हुए प्रतिमाह चार हजार रुपए भरण-पोषण के तौर पर चुकाने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला के लिए ऐसे हालात पैदा न हो कि भरण-पोषण के लिए उसे गलत रास्ता अपनाना पड़े। जब शादी की हो तो पत्नी का भरण-पोषण करने की पति की जिम्मेदारी होती है। भले ही याचिककर्ता व्यवसाय कर कमाई कर रही हो तो भी पति को भरण-पोषण चुकाने से मुक्त नहीं किया जा सकता। कानून के तहत पत्नी को भी पति की तरह जीने का अधिकार है।