जयेश मोकाशी ने गत 13 जून को ही आहवा थाने कृषि विकास सेल की प्रमुख भावेश्री दावेड़ा और वहां कार्यरत दो कर्मचारी कुणाल सोलंकी और राजेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। आरोपियों ने जयेश को प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का वादा करने के साथ उससे एक लाख दो हजार रुपए का सफेद मूसली पाउडर लिया था। लेकिन कई महीने बीतने के बाद न तो प्रोसेसिंग यूनिट के लिए कुछ किया और न उसकी राशि लौटाई।
सब्सिडी दिलाने का भी दिया झांसा
सीएसआर फंड के तहत कंपनी के प्रतिनिधि अंकित मेहता और भावेश्री अरविंद दावडा ने डांग कलक्टर और कृषि अधिकारियों को को विश्वास में 14 योजनाएं बनाईं। इसी के तहत जयेश मोकाशी को झांसा दिया। उससे मूसली पाउडर लेकर जर्मनी में बेचने और ऊंचा दाम दिलवाने की बात कही। प्रयोगशाला जांच के नाम पर तीन हजार आठ सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से 27 किलो पाउडर ले लिया।
बार-बार सम्पर्क किया, रसूख का डर दिखाया
जयेश ने बार-बार कृषि विकास सेल कर्मचारी कृणाल सोलंकी और राजेश के साथ निदेशक भावेश्री से भी सम्पर्क किया। बाद में सबने फोन और संदेशों का जवाब देना भी बंद कर दिया। जयेश को दबाव में लेने के लिए भावेश्री ने सरकार के एक मंत्री के साथ खिंचवाई फोटो भेजी और संदेश दिया कि वह कुछ भी कर सकती है।
पातली किसान मंडली से भी ठगी
डांग के पातली गांव में 300 किसानों ने अपने विकास के लिए मंडली बना रखी है। ट्रैक्टर सहित कृषि औजारों के लिए वे लगातार जिला प्रशासन से सरकारी योजना के तहत १७ लाख रुपए का सहयोग मांग रहे थे। कृषि विकास सेल के जरिए पातली मंडली को 10 लाख रुपए का सरकारी अनुदान और सीएसआर फंड से सात लाख रुपए की सहायता देने का तय किया। मंडली के जिम्मेदारों से आवेदन पत्र भरवाकर उनसे एक लाख ५० हजार रुपए कृषि विकास सेल के खाते में जमा कराने को कहा। बैंक में यह संयुक्त खाता डांग कृषि अधिकारी और सीएसआर कम्पनी के नाम था। किसान मंडली ने आपस में पैसा एकत्र कर जमा भी करवा दिए। पांच महीने तक कोई कार्रवाई आगे नहीं बढऩे पर किसानों ने जिला कलक्टर से शिकायत की। कलक्टर ने तत्काल राशि वापस करने के आदेश दिए। यहां बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि पैसा वापस ही लौटाना था तो जमा क्यों कराया गया?