शहर में जुलाई में सबसे अधिक कोरोना मरीज सामने आए थे। इस दौरान राज्य सरकार ने कोविड-19 हॉस्पिटल के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए तथा कोविड-19 के मरीजों के लिए चिकित्सकीय सुविधा पूरी करने के लिए करोड़ों रुपए अनुदान दिया था। मरीज सेवा समिति के प्रमुख सुभाष झाड़े ने आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज डीन ने कई ऐसे कार्यो पर लाखों रुपए खर्च कर दिए, जो नहीं होने चाहिए थे। उन्होंने बताया कि न्यू सिविल अस्पताल में 10 पोर्टेबल एक्स-रे मशीन उपलब्ध है। इसके अलावा 16 एक्स-रे मशीन नई लाई गई है। इसमें 12 डिजिटल है, जिसकी कीमत 12 से 16 लाख रुपए है। जबकि चार सादा एक्स-रे मशीन है जिसकी कीमत आठ लाख प्रति मशीन है। यह सभी एक्स-रे मशीन पड़ी हुई है और बिना कारण खरीदी गई है।
कोविड-19 महामारी के तहत एसी भाड़े से लाए गए थे, जिसका अंदाजित बिल 70 लाख रुपए होता है। इतने भाड़े में तो नई मशीन खरीदी जा सकती थी। गद्दे, आइसीयू साधन, इलेक्ट्रिक सामग्री आदि की स्थानीय स्तर पर खरीदी की गई है। जिसकी विजलंस जांच होनी चाहिए। इंफेक्शन कंट्रोल के नाम पर सफाई के साधन, कचरा निकाल समेत अन्य सामग्री जो खरीदी गई है, उसकी भी जांच होनी चाहिए। इलेक्ट्रिक ट्रांसफार्मर भी भाड़े से लाया गया था, जो नया खरीदा जा सकता था। अस्पताल परिसर में स्ट्रीट लाइट के वायर, बल्ब समेत अन्य मैनटेनेंस का खर्च किया गया है। तीन साल पहले नए स्ट्रीट लाइट को रिपेरिंग में खर्च समझ के परे है। इन सभी कार्यो की विजिलंस जांच होनी चाहिए।