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सरकारी जमीन हड़पने वालों पर कसा शिकंजा

locationसूरतPublished: Jul 02, 2022 12:52:32 am

Submitted by:

Gyan Prakash Sharma

15 दिनों से चल रही जांच, राजस्व विभाग ने दिया एक हजार से अधिक लोगों को नोटिस
 

सरकारी जमीन हड़पने वालों पर कसा शिकंजा

सरकारी जमीन हड़पने वालों पर कसा शिकंजा

सिलवासा. नकली दस्तावेजों के आधार पर सरकारी जमीन हड़पने वाले लोगों पर जिला प्रशासन का शिकंजा कसता जा रहा है। सरकारी जमीन में हेराफेरी करके कारोबारियों को बेचने के मामले में राजस्व विभाग अब तक एक हजार से अधिक लोगों को नोटिस दे चुका है।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार जांच में सरकारी जमीन की दलाली में कई बड़े चेहरों के नाम सामने आ रहे हैं। इसमें 300 से अधिक लोग ऐसे हैं, जिनके पास गुजरात और महाराष्ट्र में जमीन थी। ऐसे लोगों ने नकली विल (वसीयत) बनाकर सरकारी जमीन हड़प ली और ऊँचे भावों पर उद्योगपतियों को बेच दी।
करीब चार दशक पूर्व दस हजार भूमिहीन आदिवासी किसानों को जीवन निर्वाह के उद्देश्य से सरकारी जमीन दी गई थी। उस समय कई मौकापरस्तों ने मकसद से हटकर अधिकारियों से मिलीभगत करके यह सरकारी जमीन उद्योगपतियों को बेच डाली।
भूमिहीनों को प्रदत्त 90 प्रतिशत सरकारी जमीन पर चल रहे उद्योग-धंधे


90 के दशक में जब औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ, तक जमीन के भाव सातवें आसमान में पहुंंच गए और सरकारी जमीन उद्योगपतियों को बेचकर अच्छा पैसा बना लिया। भू विभाग द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया है कि भूमिहीनों को प्रदत्त 90 प्रतिशत सरकारी जमीन पर उद्योग-धंधे, कारोबार, होटल, चालें आदि बन गई हैं। जिला प्रशासन द्वारा सरकारी जमीन के हेराफेरी की जांच कराए जाने को लेकर आम लोग खुश हैंं।

उद्योगपति चितिंत


जिले के दादरा, सायली, नरोली, मसाट, रखोली, मधुबन, खानवेल, दपाड़ा गांवों में सरकारी जमीन पर सैकड़ों उद्योग चल रहे हैं। इन उद्योगपतियों को जिला कलेक्टर एवं भू विभाग के आदेश से जमीन हस्तांतरित की गई है। उद्योगपतियों को चिंता है कि कहीं प्रशासन का हथौड़ा इनके कारोबार पर ना पड़े। कारोबारी कौशिल शाह कहते है कि उद्योगपतियों ने जिला प्रशासन के अनुमति से जमीन खरीदी है। करोड़ों का निवेश किया है तथा बैंकों से कर्ज लेकर कारोबार आरम्भ किया है। प्रशासन को सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत है।
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