90 के दशक में जब औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात हुआ, तक जमीन के भाव सातवें आसमान में पहुंंच गए और सरकारी जमीन उद्योगपतियों को बेचकर अच्छा पैसा बना लिया। भू विभाग द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया है कि भूमिहीनों को प्रदत्त 90 प्रतिशत सरकारी जमीन पर उद्योग-धंधे, कारोबार, होटल, चालें आदि बन गई हैं। जिला प्रशासन द्वारा सरकारी जमीन के हेराफेरी की जांच कराए जाने को लेकर आम लोग खुश हैंं।
उद्योगपति चितिंत
जिले के दादरा, सायली, नरोली, मसाट, रखोली, मधुबन, खानवेल, दपाड़ा गांवों में सरकारी जमीन पर सैकड़ों उद्योग चल रहे हैं। इन उद्योगपतियों को जिला कलेक्टर एवं भू विभाग के आदेश से जमीन हस्तांतरित की गई है। उद्योगपतियों को चिंता है कि कहीं प्रशासन का हथौड़ा इनके कारोबार पर ना पड़े। कारोबारी कौशिल शाह कहते है कि उद्योगपतियों ने जिला प्रशासन के अनुमति से जमीन खरीदी है। करोड़ों का निवेश किया है तथा बैंकों से कर्ज लेकर कारोबार आरम्भ किया है। प्रशासन को सोच-समझकर कदम उठाने की जरूरत है।