सूरत

ADMISSION 2019 : इंजीनियर बनने के लिए दिमाग के साथ जेब भी होनी चाहिए दमदार

– एसीपीसी ने जारी किया राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटों और फीस का ब्योरा-एक सेमेस्टर की फीस 40 हजार से 1.37 लाख तक, सरकारी और निजी कॉलेजों की फीस में जमीन-आसमान का फर्क

सूरतMay 17, 2019 / 08:06 pm

Divyesh Kumar Sondarva

ADMISSION 2019 : इंजीनियर बनने के लिए दिमाग के साथ जेब भी होनी चाहिए दमदार

सूरत.
एडमिशन कमेटी फोर प्रोफेशनल कोर्सेज (एसीपीसी) ने राज्य के इंजीनियरिंग संस्थानों की शैक्षणिक सत्र 2019-20 की प्रोविजनल सीटों की संख्या के साथ इन संस्थानों की फीस जारी कर दी है। एसीपीसी की सूची देखकर लगता है कि गुजरात में इंजीनियर बनना है तो दिमाग के साथ जेब में भी दम होना चाहिए। स्वनिर्भर इंजीनियरिंग संस्थान में एक सेमेस्टर की फीस 40 से 1.73 लाख रुपए तक है। सरकारी और स्वनिर्भर कॉलेजों की फीस में जमीन-आसमान का फर्क है।
राज्य के स्वनिर्भर महाविद्यालयों और संस्थानों की फीस आसमान छू रही हैं। इंजीनियर बनने में सबसे बड़ी बाधा फीस है। एक सेमेस्टर की फीस ही लाखों रुपए है। इसके अलावा विद्यार्थी पर कई तरह के अन्य खर्च भी होते हैं। सरकारी कॉलेजों में प्रवेश के लिए कड़ी स्पर्धा होने वाली है। यहां प्रवेश नहीं मिलने पर ऊंचे अंकों के बावजूद इंजीनियर बनने के लिए ऊंची फीस चुकानी पड़ेगी। राज्यभर में जीटीयू संबद्ध 86 स्वनिर्भर इंजीनियरिंग कॉलेज और संस्थान हैं, जिनमें 36,542 सीटें हैं। निजी विश्वविद्यालय संबद्ध 28 कॉलेजों में 13,771 सीटें हैं। इन सभी की फीस 40 हजार रुपए से शुरू होती है। यह फीस पूरे साल की नहीं, बल्कि एक सेमेस्टर की है। 40 हजार रुपए से कम फीस वाला एक भी स्वनिर्भर कॉलेज नहीं है। किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया जाए, फीस एक समान चुकानी पड़ेगी। राज्य में एक ऑटोनोमस कॉलेज को एआइसीटीइ और जीटीयू ने मान्यता दे रखी है। एसीपीसी ने इसे भी प्रवेश प्रक्रिया में शामिल किया है। इस कॉलेज में १८० सीटें हैं और फीस 1.45 लाख रुपए है। राज्य सरकार ने दो पीपीपी कॉलेज शुरू किए हैं। इनमें 6०0 सीटे हैं। इनकी फीस भी तगड़ी है। यहां एक सेमेस्टर के 40 हजार से 68 हजार रुपए तक वसूले जाते हैं।
राज्यभर में 16 सरकारी और 4 अनुदानित इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज हैं। इनमें 10,264 सीटें हैं। इनकी फीस 1500 रुपए ही है। इनसे विपरीत स्वनिर्भर, ऑटोनोमस और पीपीपी कॉलेज की फीस 100 गुना अधिक है। ऐसे में राज्य के पहले 10 हजार 264 विद्यार्थियों को ही कम फीस में इंजीनियर बनने का अवसर मिलेगा। बाकी को इंजीनियर बनने के लिए चार साल में लाखों रुपए बहाने पड़ेंगे।
छात्राओं के लिए नि:शुल्क
राज्य के सरकारी और अनुदानित इंजीनियङ्क्षरग कॉलेज में छात्राओं से कोई फीस नहीं ली जाएगी। इन कॉलेजों में छात्राओं की नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है, लेकिन स्वनिर्भर कॉलेजों में छात्राओं को भी लाखों रुपए फीस चुकानी पड़ेगी।

खुलेआम लूटते हैं प्राइवेट कॉलेज
लाखों की फीस के बावजूद स्वनिर्भर कॉलेज विद्यार्थियों को खुलेआम लूटते हैं। विद्यार्थियों से फीस के अलावा भी कई प्रकार की वसूली की जाती है। प्रमाण पत्र जमा करवा लिए जाते हैं। प्रमाण पत्र वापस मांगने पर लाखों रुपए की फीस भरवाई जाती है। फीस नहीं भरने पर प्रमाण पत्र नहीं दिए जाते। फीस के अलावा ऐसे कॉलेज तगड़ा डोनेशन भी लेते हैं। स्वनिर्भर कॉलेजों पर किसी तरह की लगाम नहीं होने के कारण एक बार प्रवेश करने वाला विद्यार्थी किसी न किसी मद में पैसा खर्च करता रहता है। एक क्लास से ही कॉलेज करोड़ों रुपए कमा लेते हैं।

फिर भी नहीं मिलता रोजगार
इंजीनियङ्क्षरग में लाखों रुपए की फीस भरकर डिग्री हासिल करना भी रोजगार की गारंटी नहीं है। राज्य में इंजीनियङ्क्षरग विद्यार्थियों के लिए रोजगार नहीं ज्यादा हैं। इंजीनियङ्क्षरग के बाद विद्यार्थियों को रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाना पड़ रहा है। जो बाहर नहीं जाना चाहते, वह व्यापार करने लगते हैं।
60 हजार सीटों के लिए 56 हजार ने दी परीक्षा
गुजरात माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने राज्य के इंजीनियङ्क्षरग और पैरा मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राज्य में 26 अप्रेल को गुजकेट आयोजित की थी। पहले गुजकेट बिना प्रवेश असंभव था, लेकिन इंजीनियङ्क्षरग में सीटें रिक्त रह जाने के कारण बिना गुजकेट वालों को भी प्रवेश दे दिया जाता है। गुजकेट के ए ग्रुप में राज्यभर से 56,963 विद्यार्थियों ने पंजीकरण करवाया था। राज्य में सरकारी, अनुदानित, निजी, पीपीपी और ऑटोनोमस कॉलेजों की संख्या 137 है। इनमें 61,357 प्रोविजनल सीटें हैं। इस साल 12वीं विज्ञान वर्ग के ए ग्रुप में सिर्फ 38,948 विद्यार्थी पास हो पाए हैं, जो पिछले साल के मुकाबले कम हैं। भले 56 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने गुजकेट दी हो, 12वीं विज्ञान में पास हुए विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए इंजीनियिंरग में 30 हजार से अधिक सीटें रिक्त रहने के आसार नजर आ रहे हैं।

राज्य के किस कॉलेज में कितनी सीटें, कितनी फीस
कॉलेज संख्या सीटें फीस (रुपए में)
सरकारी कॉलेज 16 8,970 1,500 (छात्राओं को नि:शुल्क)
अनुदानित कॉलेज 04 1,294 1,500 (छात्राओं को नि:शुल्क)
ऑटोनोमस कॉलेज 01 180 1,45,000
पीपीपी कॉलेज 02 600 40,000-68000
स्वनिर्भर कॉलेज (जीटीयू) 86 36,542 45,000-1,65,000
प्राइवेट यूनिवर्सिटी कॉलेज 28 13,771 63,000-1,73,000 रुपए
कुल १३7 ६१,३५७ –
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