script21 साल बाद मतदान से तय होंगे सदस्य | After 21 years, the members will be decided by voting | Patrika News

21 साल बाद मतदान से तय होंगे सदस्य

locationसूरतPublished: Jun 18, 2021 09:20:46 pm

शिक्षण समिति चुनाव – आठ सीटों के लिए नौ प्रत्याशी, भाजपा के चार प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित

21 साल बाद मतदान से तय होंगे सदस्य

21 साल बाद मतदान से तय होंगे सदस्य

सूरत. नामांकन वापसी के अंतिम दिन आठ सीटों के लिए नौ प्रत्याशियों के मैदान में रहने के बाद अब मतदान से ही समिति सदस्यों का चुनाव होगा। 21 साल बाद मतदान से समिति गठन की स्थिति बनी है। अंतिम दिन एक प्रत्याशी का नामांकन खारिज होने के बाद चार सीटों पर भाजपा के चार प्रत्याशियों को निर्विरोध चुन लिया गया।
मनपा की शिक्षण समिति के चुनाव इस बार दिलचस्प हो गए हैं। 21 साल बाद ऐसा अवसर आया है, जब मतदान से समिति सदस्यों का भाग्य तय होगा। बीते 21 बरस से समिति के लिए अब तक सभी सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन होता आया था। इस बार 12 सीटों के लिए 14 दावेदारों ने अपने पर्चे दाखिल कर दिए थे। इनमें भाजपा के दस और आम आदमी पार्टी के दो दावेदारों के साथ ही दो अन्य लोगों ने निर्दलीय नामांकन भरा था। नामांकन पत्रों की जांच के दौरान पहले ही निर्दलीय एक प्रत्याशी का पर्चा निरस्त किया जा चुका है। नाम वापसी के अंतिम दिन एक भी प्रत्याशी के नाम वापस नहीं लेने के बाद अब मतदान की स्थिति बनी है। मतदान 25 जून को होगा।
गौरतलब है कि शिक्षण समिति सदस्यों का चुनाव राज्यसभा की तर्ज पर होता है। मनपा बोर्ड में प्रतिनिधित्व के आधार पर राजनीतिक दलों को शिक्षण समिति में जगह मिलती है। इस बार ऐसा नहीं है। 12 सीटों के लिए चुनाव होना है। विभिन्न आरक्षित श्रेणियों में भाजपा के चार सदस्य पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। ऐसे में शेष आठ सीटों के लिए नौ प्रत्याशी मैदान में रह गए हैं। बोर्ड में सदस्यों की संख्या के हिसाब से छह सीटें भाजपा और दो सीटें आम आदमी पार्टी के खाते में जाना तय है। मतदान की स्थिति में दोनों ही दलों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।
एक सीट पर नजर

जो निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है, उसे भाजपा का समर्थन बताया जा रहा है। आम आदमी पार्टी के इस आरोप के पीछे तर्क यह है कि नामांकन में प्रस्तावक भाजपा पार्षद है। जानकार मानते हैं कि आम आदमी पार्टी के पास इस तरह के चुनाव में अनुभव की कमी के कारण पहली बार चुने गए पार्षदों से गलती की गुंजाइश है। ऐसे में भाजपा की नजर एक अतिरिक्त सीट पर है। आप पार्षदों की चूक कथित भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी की जीत का सबब बन सकती है।
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