scriptजीएसटी के बाद कपड़ा उद्योग की समीक्षा के लिए वस्त्रमंत्री को पत्र लिखा | After the GST, the Textile Minister wrote a letter to the Textile Indu | Patrika News

जीएसटी के बाद कपड़ा उद्योग की समीक्षा के लिए वस्त्रमंत्री को पत्र लिखा

locationसूरतPublished: Nov 28, 2018 09:09:01 pm

Submitted by:

Pradeep Mishra

जीएसटी के बाद सूरत में 90 हजार लूम्स मशीन भंगार हो गए

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जीएसटी के बाद कपड़ा उद्योग की समीक्षा के लिए वस्त्रमंत्री को पत्र लिखा


सूरत
फैडरेशन ऑप सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने जीएसटी लागू होने के बाद सूरत के कपड़ा उद्योग के समक्ष आ रही दिक्कतों की समीक्षा कर उसे दूर करने की मांग की है।
फोस्टा ने वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी को लिखे पत्र में बताया है कि जीएसटी का नियम लागू होने के बाद सूरत के कपड़ा उद्यमियों की हालत लगातार खराब होते जा रही है। जीएसटी के पहले सूरत के कपड़ा उद्यमी प्रतिदिन चार करोड़ मीटर का उत्पादन होता था, जो कि जीएसटी के बाद ढाई करोड़ पर पहुंच गया है। जीएसटी के बाद सूरत में 90 हजार लूम्स मशीन भंगार हो गए हैं। डाइंग प्रोसेसिंग यूनिटों में जॉबवर्क नहीं होने के कारण जीएसटी के बाद से अब तक 50 प्रोसेसिंग यूनिट बंद हो गए हैं। कपड़ा व्यापार घट जाने के कारण छोटे छोटे कपड़ा व्यापारी दुकानें बंद कर ्अन्य व्यापार में पलायन कर रहे हैं। जीएसटी के पहले बाजार में 65 हजार दुकानें थी, जिसमें कि पांच हजार बंद हो चुकी हैं और पांच हजार ने व्यापार बदल दिया। पहले कई घरेलू महिलाओं को भी साड़ी में जॉबवर्क का काम मिलता था। मंदी के कारण वह भी बेरोजगार हो गई हैं। जीएसटी का असर निर्यात पर भी पड़ रहा है। केन्द्र सरकार की ओर से जीएसटी के बाद ड्यूटी ड्र-बैक कम कर दिए जाने से निर्यातकों का उत्साह घटा है। इसलिए जीएसटी के कारण व्यापार पर असर की समीक्षा कर उचित कदम उठाए जाए।
महिलाओं की सही हालत जाननी है तो छोटे यूनिटों में भी जाना पड़ेगा
पार्लियामेन्ट कमेटी ऑफ एम्पावरमेन्ट वुमेन की 10 महिला सांसदो ने पांडेसरा जीआईडीसी में लक्ष्मीपति मिल का दौरा कर महिलाओं से जानकारी ली और वहीं से महिलाओं के हालात जानने का प्रयास किया, लेकिन चर्चा रही कि बड़े औद्योगिक एकमों में तो सब कुछ पहले से ही ठीक है और वहां श्रमिकों के लिए व्यवस्थाएं भी होती है। यदि वास्तविक परिस्थिति जाननी है तो कुछ छोटे यूनिट में जाए और वहां जीएसटी के बाद क्या असर पड़ा है। उससे महिला श्रमिकों के रोजगार पर क्या असर पड़ा है। यह जानने का प्रयास करते तो शायद कुछ और तस्वीर भी सामने आ सकती थी।
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