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मलबे में दो जिंदगियां घुटने के बाद ठेकेदार पर कसा शिकंजा

locationसूरतPublished: Mar 22, 2018 09:57:02 pm

अठवा जोन के घोड़दौड़ रोड इलाके में बीती रात आदर्श पछात वर्ग सोसायटी के पास भरभरा कर ढही निर्माणाधीन बिल्डिंग में अवैध तरीके से छत पर स्लैब…

After two knocks in the wreckage, knock on the contractor

After two knocks in the wreckage, knock on the contractor

सूरत।अठवा जोन के घोड़दौड़ रोड इलाके में बीती रात आदर्श पछात वर्ग सोसायटी के पास भरभरा कर ढही निर्माणाधीन बिल्डिंग में अवैध तरीके से छत पर स्लैब डालने का काम हो रहा था। इसी दौरान छत का बड़ा हिस्सा ढह गया और उसमें दबने से दो श्रमिकों की मौत हो गई।

पुलिस ने सख्ती बरतते हुए भेस्तान सुंदरम रेजिडेंसी निवासी दीप कंस्ट्रक्शन के मालिक दीपक शाह के खिलाफ आईपीसी की धारा ३०४, ३३८ के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस के मुताबिक दीपक ने पहली मंजिल के स्लैब के निर्माण के दौरान आवश्यक सावधानी नहीं बरती। निर्माण सामग्री खामीयुक्त होने के कारण इससे मजदूरों की जान को खतरा होने की बात जानते हुए भी लापरवाही बरती गई, जिसकी वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ। करीब दस टन के वजनी स्लैब की चपेट में आने से मनोज देशमुख (३०) और गणेश माकोड़ो ४०) की मौत हो गईं, वहीं तीसरे श्रमिक नवागांव डिंडोली निवासी पर्वत नागले (३६) को बचा लिया गया। नागले का न्यू सिविल अस्पताल में उपचार जारी है।

इससे पहले तडक़े करीब साढ़े तीन बजे तक राहत और बचाव के कार्य के बाद दोनों श्रमिकों के क्षत-विक्षत शव मलबे से निकाले गए, जिन्हें पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। उमरा थाने के पुलिस उप निरीक्षक जे.सी.शेख घटना की जांच कर
रहे है।

..नहीं तो होता और बड़ा हादसा


हादसे में बचे श्रमिक पर्वत नागले ने बताया कि छत पर स्लैब डालने का काम करने के लिए १८ श्रमिक मौके पर मौजूद थे। शाम करीब सवा सात बजे काम पूरा होने पर सभी श्रमिक वहां से निकल गए। आगे के काम को देखने के लिए पर्वत और हताहत हुए दोनों श्रमिक गणेश तथा मनोज वहां रुक गए। ठेकेदार और मकान मालिक बाहर बातें कर रहे थे। इसी दौरान यकायक छत के चरमराने की आवाज हुई। कुछ दिन पहले लगाए गए बीम से आवाज आ रही थी। वह गिर नहीं जाए, इसलिए फटाफट उसे सपोर्ट लगाया गया, लेकिन आवाज और तेज हो गई।


इसी दौरान छत भरभरा कर गिर गई और तीन श्रमिक उसकी चपेट में आ गए। पर्वत नागले ने बताया कि कुछ देर तेज आवाज के बाद सन्नाटा हुआ तो एहसास हुआ कि मैं किसी भारी-भरकम चीज के नीचे दबा हूं। आंखों के सामने अंधेरा छा गया। करीब पौन घंटे तक मदद के लिए चिल्लाता रहा। बाद में किसी ने मेरी आवाज सुनी और बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला। मैं सीढिय़ों के बीच था, इसलिए बच गया। नागले ने बताया कि यही हादसा कुछ समय पहले घटता तो अनर्थ हो जाता।

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