दिल्ली की तरह ही सूरत में भी आबोहवा पर संकट मंडरा रहा है। दुनिया में तेजी से विकसित हो रहे शीर्ष शहरों में शामिल होने के बावजूद सूरत में वायु के प्रदूषण की स्थिति को मापने की सुचारू व्यवस्था नहीं है। पहले चरण में स्मार्ट हो रहे शहरों में शामिल होने के बाद मनपा प्रशासन ने एरिया बेस्ड डवलपमेंट के लिए डुंभाल प्रोजेक्ट को हाथ में लिया था। इसमें लिंबायत और वराछा जोन की सात टीपी को मिलाकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर अमल शुरू किया था। शहर में रह रहे लोगों को आक्सीजन के लिए स्वच्छ वायु भी स्मार्ट सिटी की विशेषताओं में एक है, इसलिए मनपा प्रशासन ने स्मार्ट सिटी एरिया के दोनों जोन वराछा और लिंबायत में वायु प्रदूषण मापने के संयंत्र स्थापित किए थे। इन पर करीब एक करोड़ रुपया खर्च हुआ था।
मनपा प्रशासन ने शुरू में शहर के अन्य जोन इलाकों में भी एक-एक वायु प्रदूषण मापक संयंत्र लगाने का मन बनाया था। इनकी लागत के लिए कहीं से फंडिंग नहीं मिलने पर मनपा ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। एक संयंत्र पर करीब ५० लाख रुपए खर्च होने हैं। पांच जोन में वायु प्रदूषण माप के लिए मनपा को ढाई करोड़ रुपए खर्च करने पड़ जाएंगे। अधिकारियों का मानना है कि आर्थिक संकट से जूझ रही मनपा के लिए महंगे वायु प्रदूषण मापक संयंत्र लगा पाना संभव नहीं है। यदि कहीं से कोई ग्रांट मिलती है मनपा प्रशासन हवा की सेहत मापने की कवायद शुरू कर सकता है।
जो लगे उनकी मॉनिटरिंग में भी दिक्कत
मनपा ने वराछा और लिंबायत में वायु प्रदूषण मापने के लिए जो संयंत्र लगाए हैं, उनकी मॉनिटरिंग के लिए भी अधिकारियों को दिक्कत पेश आ रही है। देखभाल के अभाव में दोनों संयंत्र कई बंद हो जाते हैं। जब किसी नागरिक या अधिकारी की नजर इस पर पड़ती है तो टीम मौके पर जाकर उसे ठीक करती है। कई बार साफ-सफाई या दूसरी लापरवाही में तार हिलते ही हवा की निगरानी पर ब्रेक लग जाता है।
ग्रांट का इंतजार
मनपा प्रशासन ने दो संयंत्र लगाकर एक शुरुआत की थी। वायु प्रदूषण मापने के लिए संयंत्र महंगे आते हैं और एक सिस्टम डवलप करना पड़ता है। हमने प्रस्ताव भेजे हैं। इसके लिए ग्रांट केंद्र या राज्य से ग्रांट मिलती है तो मनपा प्रशासन कवायद शुरू करेगा।भरत दलाल, सिटी इंजीनियर, मनपा