scriptSurat/ सीमी सम्मेलन मामले में 20 साल बाद सभी 127 अभियुक्त बरी | All 127 accused acquitted after 20 years in Seemi conference case | Patrika News

Surat/ सीमी सम्मेलन मामले में 20 साल बाद सभी 127 अभियुक्त बरी

locationसूरतPublished: Mar 06, 2021 07:29:42 pm

चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने सुनाया फैसला, एज्युकेशन सेमिनार के बहाने अनलॉफुल एक्टिविटी करने का था आरोप

Surat/ सीमी सम्मेलन मामले में 20 साल बाद सभी 127 अभियुक्त बरी

Surat/ सीमी सम्मेलन मामले में 20 साल बाद सभी 127 अभियुक्त बरी

सूरत. बहुचर्चित प्रतिबंधित संगठन सीमी के सम्मेलन का आयोजन करने के मामले में सूरत की चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने 20 की लंबी सुनवाई के बाद शनिवार को फैलसा सुनाते हुए सभी 127 अभियुक्तों को बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष अभियुक्त अनलॉफुल एक्टिविटीज करने के लिए इकठ्ठे हुए होने का आरोप साबित करने में विफल रहा, जिससे कोर्ट ने सूबतों के अभाव में अभियुक्तों को निर्दोष छोडऩे का हुक्म सुनाया।
सगरामपुरा के राजेश्री हॉल में 27 दिसम्बर की रात पुलिस ने छापा मार कर माइनोरिटी एज्युकेशन बोर्ड की आड में प्रतिबंधित संगठन सीमी की बैठक का आयोजन करने के आरोप में 124 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था। जांच के दौरान अन्य तीन अभियुक्तों की लिप्तता सामने आने पर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने सभी 127 अभियुक्तों के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट की धाराओं के तहत कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। तब से मामले की सुनवाई चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में चल रही थी। 20 साल तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने 6 मार्च का दिन फैसले के लिए तय किया था। शनिवार को कोर्ट खुलने के साथ ही कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सबूतों के अभाव में सभी अभियुक्तों को आरोपों से बरी कर दिया। अभियोजन पक्ष अभियुक्त अनलॉफुल एक्टिविटीज के लिए इकठ्ठे हुए थे यह साबित करने में विफल रहा।

यह था मामला


सगरामपुरा के राजेश्री हॉल में 27 से 30 दिसम्बर, 2001 तक माइनोरिटी एज्युकेशन बोर्ड के बैनर तले सेमिनार का आयोजन किया था। इस दौरान राज्य के तत्कालिन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक की ओर से तत्कालिन अठवा थाने के निरीक्षक एम.जे.पंचोली को फैक्स से सूचना दी गई कि राजेश्री हॉल में एज्युकेशनल सेमिनार के बहाने प्रतिबंधित संगठन सीमी के कार्यकर्ता इकठ्ठे हुए है। पुलिस ने देर रात छापा मारकर 124 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने यहां से सीमी से संबंधित कुछ पैम्फलेट और कागजाद भी बरामद किए थे। पुलिस ने अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट की धाराओं के तहत अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

सलाबतपुरा के अलिफ माजीद मंसुरी और ए.आर.कुरैशी ने बुक करवाया था हॉल


अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद की गई जांच में पता चला था कि माइनोरिटी एज्युकेशन बोर्ड के सेमीनार के लिए सलाबतपुरा क्षेत्र निवासी अलिफ माजीद मंसुरी और ए.आर.कुरैशी ने 27 से 30 दिसम्बर, 2001 तक राजेश्री हॉल बुक करवाया था।
खुशी से रो पड़े अभियुक्त, एक दुसरे को गले मिल खुदा का शुक्रिया माना

20 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद शनिवार को कोर्ट का फैसला आना था, जिससे सभी अभियुक्त सुबह दस बजे से ही कोर्ट में पहुंच गए थे। सुबह ग्यारह बजे जैसे ही न्यायाधीश ने फैसला सुनाने की शुरुआत की तो सभी के दिल में डर सा था, लेकिन कोर्ट ने जैसे ही अभियुक्तों को निर्दोष छोडऩे का फैसला सुनाया उसी के साथ कइयों के आंखों में आंसू छलक उठे। कोर्ट रूम से बाहर निकलकर सभी एक-दूसरे के गले मिलकर रोने लगे और खुदा का शुक्रिया अदा करने लगे। कोर्ट से ही परिजनों को उनके निर्दोष छूटने की जानकारी देते नजर आए।

बरी होने के बाद कहा- न्याय तो मिला,लेकिन बहुत कुछ खोया


कोर्ट के फैसले के बाद बरी होने के बाद जिन पर अनलॉफुल एक्टिविटीज करने का आरोप था उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 20 साल बाद न्याय मिला और सच्चाई की जीत हुई है। साथ ही विलंबति न्याय को लेकर भी उन्होंने सिस्टम के खिलाफ सवाल खड़े किए। औरंगाबाद के जीयासुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि 20 सालों में उन्होंने काफी कुछ खोया और सहन किया। झूठे आरोपों के साथ एफआइआर दर्ज करने वाले पुलिस वालों के खिलाफ क्यां कोई कार्रवाई होगी यह सवाल भी उन्होंने खड़ा किया।

केन्द्र सरकार की अनुमति बिना ही की थी कार्रवाई


बचाव पक्ष के अधिवक्ता अब्दुल वहाब शेख ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए इसे सच्चाई की जीत बताया। उन्होंने कहा कि अनलोफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट की धाराओं के तहत कार्रवाई करने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेना जरूरी होता है, लेकिन इस मामले में पुलिस ने सिर्फ राज्य सरकार की अनुमति ली थी। कोर्ट के समक्ष जब यह बात आई तो कोर्ट ने भी माना कि कार्रवाई ही गलत तरीके से की गई और इसे अनलॉफुल एक्टिविटीज का मामला नहीं माना जा सकता।

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