आरोपित अधिवक्ता सतीष धनसुखलाल जाधव के खिलाफ अरूण भगवानदास रांदेरिया ने कोर्ट में चेक रिटर्न की शिकायत की थी। आरोप के मुताबिक सतीश पहले उनकी फर्म में बौतर अकाउंट नौकरी करता था, उस वक्त उसने फर्म के खाते से 25 लाख रुपए निजी तौर पर खर्च कर लिए थे। रुपए लौटाते वक्त उसने दस लाख रुपए का चेक दिया था, जो बैंक से रिटर्न हो गया था। निचली कोर्ट ने अंतिम सुनवाई के बाद अभियुक्त सतीष जाधव को दोषी करार देते हुए छह महीने की कैद और रिटर्न चेक की राशि चुकाने का हुक्म सुनाया था। निचली कोर्ट के आदेश के खिलाफ सतीष ने सेशन कोर्ट में अपील की थी। अभियोजन पक्ष की ओर से केतन रेशमवाला ने पेश होकर पैरवी की। अंतिम सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने अपील याचिका नामंजूर करते हुए निचली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।