scriptबकाया वेतन दिलवाया और गांव भिजवाया | Arrears of salary and sent to the village | Patrika News

बकाया वेतन दिलवाया और गांव भिजवाया

locationसूरतPublished: May 26, 2020 08:37:58 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

खाना खाने आता था, रो-रोकर दुखड़ा सुनाया तो स्वयंसेवकों ने निकाला सुखद रास्ता

बकाया वेतन दिलवाया और गांव भिजवाया

बकाया वेतन दिलवाया और गांव भिजवाया

सूरत. दो महीने से लगातार वह व्यक्ति मगोब सेवा केंद्र पर जरुरतमंद बनकर भोजन करता रहा और एक दिन मौका देखकर रोते-रोते अपना दुखड़ा सुनाया। जरुरतमंद का दुखड़ा सुनकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक तुरंत हरकत में आ गए और उसका बकाया वेतन दिलवाया और मंगलवार को गांव भिजवाया है।
लॉकडाउन की शुरुआत से ही परवत पाटिया के मगोब प्राथमिक शाला सेवा केंद्र में जरुरतमंदों को सेवाभावी संगठनों की ओर से भोजन परोसा जा रहा है। यहां रोजाना सैकड़ों जरुरतमंद भोजन के लिए आते हैं। इन्हीं में से 50 साल का हरीश वर्मा नामक जरुरतमंद भी शामिल है। तीन दिन पहले उसने हिम्मत जुटाकर सेवा केंद्र पर सेवा दे रहे कार्यकर्ता कल्पेश रावल व विजय चौमाल को कुछ बताना चाहा और जैसे ही उससे पूछा कि बताओ तो वह फफककर रो पड़ा। रोते-रोते उसने सब किस्सा कह सुनाया। वर्मा ने बताया कि वह राजस्थान के सीकर जिले का निवासी है और वलसाड में किसी बोटमालिक के पास समुद्र में मछली पकडऩे का काम करता था। लॉकडाउन के 20 दिन पहले ही वह उसे सूरत छोडक़र चला गया और छह माह के वेतन में से 7 हजार रुपए ही दिए। यह रकम भी यहां उसकी मोबाइल, कपड़े व बैग के साथ चोरी हो गई। तब से वह लगातार यहां आकर दोनों वक्त भोजन करता है और ब्रिज के नीचे जहां जगह मिलती है सो जाता है।

फटे पेज से जोड़ा मोबाइल नम्बर

हरीश के पास बोटमालिक के मोबाइल नम्बर थे, लेकिन उस डायरी के पेज फट गए थे। डायरी के फटे पेज से नम्बर जोडक़र उसके बोटमालिक को कार्यकर्ता रावल ने फोन किया तो उसने यह तो बताया कि हरीश उसके यहां काम करता था, लेकिन वेतन बकाया होने से इंकार कर दिया। तब वलसाड जिले के युवा कार्यकर्ता हितेश राणा और जितेश पटेल को इस काम में सक्रिय किया गया, लेकिन तब भी पूरी बात नहीं बन पाई।
एसपी सुनील जोशी बने सहयोगी

बोटमालिक की आना-कानी से परेशान होकर कार्यकर्ताओं ने अमित शर्मा से सहयोग की बात कही और शर्मा ने वलसाड पुलिस अधीक्षक सुनील जोशी से इस मामले में बात की। लिखित अर्जी देने के बाद वलसाड पुलिस की सक्रियता से बोटमालिक ने कबूला कि हरीश को प्रति माह आठ हजार देने की बात तय हुई थी और उसका 35 हजार रुपए बकाया है, जो उसने मंगलवार को कार्यकर्ता राणा व पटेल के हाथों सूरत भिजवा दिए।
विदाई में झलके खुशी के आंसू

करीब ढाई माह से एक जोड़ी कपड़े में बदहवास हरीश को उसकी बकाया रकम देकर मंगलवार को विदा करने से पहले कार्यकर्ताओं ने अच्छे से नहला-धुलाकर नए कपड़े पहनाए और संघ के पदाधिकारी नंदकिशोर शर्मा आदि की मौजूदगी में बकाया रुपए सौंपे। इसके बाद सीकर जाने वाली बस में उसे साफा पहनाकर विदा किया गया और वह खुशी के मारे आंखों में आंसू रोक ना सका। बस में सवार होने तक उसके आंसू बहते रहे।

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