फटे पेज से जोड़ा मोबाइल नम्बर हरीश के पास बोटमालिक के मोबाइल नम्बर थे, लेकिन उस डायरी के पेज फट गए थे। डायरी के फटे पेज से नम्बर जोडक़र उसके बोटमालिक को कार्यकर्ता रावल ने फोन किया तो उसने यह तो बताया कि हरीश उसके यहां काम करता था, लेकिन वेतन बकाया होने से इंकार कर दिया। तब वलसाड जिले के युवा कार्यकर्ता हितेश राणा और जितेश पटेल को इस काम में सक्रिय किया गया, लेकिन तब भी पूरी बात नहीं बन पाई।
एसपी सुनील जोशी बने सहयोगी बोटमालिक की आना-कानी से परेशान होकर कार्यकर्ताओं ने अमित शर्मा से सहयोग की बात कही और शर्मा ने वलसाड पुलिस अधीक्षक सुनील जोशी से इस मामले में बात की। लिखित अर्जी देने के बाद वलसाड पुलिस की सक्रियता से बोटमालिक ने कबूला कि हरीश को प्रति माह आठ हजार देने की बात तय हुई थी और उसका 35 हजार रुपए बकाया है, जो उसने मंगलवार को कार्यकर्ता राणा व पटेल के हाथों सूरत भिजवा दिए।
विदाई में झलके खुशी के आंसू करीब ढाई माह से एक जोड़ी कपड़े में बदहवास हरीश को उसकी बकाया रकम देकर मंगलवार को विदा करने से पहले कार्यकर्ताओं ने अच्छे से नहला-धुलाकर नए कपड़े पहनाए और संघ के पदाधिकारी नंदकिशोर शर्मा आदि की मौजूदगी में बकाया रुपए सौंपे। इसके बाद सीकर जाने वाली बस में उसे साफा पहनाकर विदा किया गया और वह खुशी के मारे आंखों में आंसू रोक ना सका। बस में सवार होने तक उसके आंसू बहते रहे।