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Making of Modi-2 : वो गुमनाम चेहरा, जिसे पता था, बनेगा करिश्माई विकास पुरुष

locationसूरतPublished: May 29, 2019 09:35:19 pm

Submitted by:

Rajesh Kumar Kasera

सत्ता पाने के बाद राज कैसे किया जाता है और कहां-कौनसी नीति काम में लेकर दिलोदिमाग में दस्तक दी जाती है, इसकाे जानना-समझना हो तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीति सोच और चतुराई का गहराई से अध्ययन करना होगा

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Making of Modi-2 : वो गुमनाम चेहरा, जिसे पता था, बनेगा करिश्माई विकास पुरुष

– राजेश कसेरा

सत्ता पाने के बाद राज कैसे किया जाता है और कहां-कौनसी नीति काम में लेकर दिलोदिमाग में दस्तक दी जाती है, इसकाे जानना-समझना हो तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीति सोच और चतुराई का गहराई से अध्ययन करना होगा। कब-क्या कहना है? किसे कहना है? किस सन्दर्भ काे किसके समक्ष रखना है? कौन-क्या कर रहा है या कर सकता है? जैसे ढेरों सवालों के जवाब मोदी ही बता सकते हैं। यही कारण है कि उनको नजदीकी से जानने वाले या साथ काम करने वाले भी समझ नहीं पाते कि उनका अगला कदम क्या होगा? राष्ट्र को सर्वोपरि मानने वाली सोच ने ही गुजरात के छोटे से गांव में जन्म लेने वाले नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को इतना बड़ा बना दिया। गांव के नरिया से प्रधानमंत्री बनने तक के सफर में मोदी ने कड़ी मेहनत की।
1995 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का प्रभारी बनाया गया। 1998 में संगठन महासचिव का दायित्व मिला तो अक्‍टूबर 2001 तक काम किया। वर्ष 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी तो उस समय प्रदेश में भूकंप आया था। इसमें 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। फिर सत्ता संभालने के पांच महीने बाद गोधरा रेल हादसा हो गया, जिसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए। इसके बाद फरवरी-2002 में दंगे भड़के सैकड़ों लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर मुसलमान थे। तमाम आरोपों और आलोचनाअों के बावजूद राज्य की राजनीति पर उनकी पकड़ लगातार मजबूत होती रही। दंगों के आरोप किसी कोर्ट में सिद्ध नहीं हो पाए।
खुद मोदी ने भी कभी इन पर न तो अफसोस जताया, न माफी मांगी। बल्कि दिसंबर 2002 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की और सबसे ज्यादा लाभ समर्थन उन्हीं इलाकों से मिला, जो दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित थे। लेकिन, राजनीति के मैदान में उनकी छवि जिस तौर पर बनी, उसके चलते वर्ष 2005 में अमरीका ने उनको वीजा ही देने से इनकार कर दिया। वे इससे विचलित नहीं हुए और अपनी राजनीतिक ताकत को बढ़ाते रहे। खुद को संगठन में मजबूत करने के साथ राज्‍य के विकास कार्यों में लगा दिया। उद्योग और कृषि के क्षेत्र में दमदार काम किए। इसे देखकर कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्‍थाओं ने उनकी तारीफ की। मोदी ने इस अवसर को भी जाने नहीं दिया और अपने हर काम को सही ठिकाने तक पहुंचाकर ही सांस ली। फिर चाहे खुद को गुजरात की अस्मिता से जोड़ना हो या विकास को महिमामंडित करना।
तकनीक के मजबूत पक्षधर रहे मोदी ने 31 अगस्त, 2012 को ऑनलाइन मंच पर आकर वैबकैम से जनता के सवालों के जवाब दिए। सवाल देश ही नहीं, दुनिया से भी पूछे गए। 22 अक्टूबर, 2012 को ब्रिटिश उच्चायुक्त ने उनसे मुलाकात कर गुजरात की प्रशंसा की और निवेश की बात भी कही। इसके बाद दंगों से बाधित हुए ब्रिटेन और गुजरात के संबंध बहाल हो गए। मोदी की सोच को परखने का काम यदि कोई कर सकता है तो वह खुद ही हैं। काल, समय और परिस्थिति के अनुरुप अपनी कुशलता और क्षमता को ढालने वाले मोदी इसीलिए 360 डिग्री की राजनीति करने वाले अकेले सिकंदर हैं। जनता के दिल में जगह बनाने का उनका अंदाज कोई नया नहीं है। तभी तो गुजरात में तीन बार लगातार मुख्यमंत्री चुने गए। मोदी बचपन में आम बच्चों से बिल्कुल अलग थे।
कभी बाल बढ़ा लेते तो कभी सरदार बन जाते। रंगमंच उन्हें खूब लुभाता था। स्कूल के दिनों में वे नाटकों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे और अपने रोल पर काफी मेहनत करते थे। उन्होंने अपनी छवि एक ऐसे जननायक के तौर पर बना ली जो कठोर निर्णय कर सकता है तो सबका दिल भी जीत सकता है। उनकी राजनीतिक समझ का लोहा दुनिया भी इसीलिए मानती है कि लाखों लोगाें के बीच में रोड शो निकालना जानते हैं तो सोशल मीडिया पर दमदार उपस्थिति दर्ज कराना भी। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करने का खेल भी उन्हें माहिर तरीके से आता है। वर्ष 2014 में देश की बागड़ोर संभालने के बाद से मोदी ने अपनी राजनीतिक समझ और चतुराई भरे निर्णयों से वे सारे किले फतह किए, जो असंभव लगते थे।
उन्होंने नई पीढ़ी को ऊबने वाली राजनीति से दूर रहने और सबका साथ- सबका विकास के मूलमंत्र को साकार करने का नया रास्ता दिखाया। करिश्माई नेतृत्व को जगाने वाले इा नेता ने आम आदमी को इतने सपने दिखाए कि उसे भरोसा हो गया कि उसकी जिन्दगी में मोदी ही बदलाव लाएगा। अाधुनिक युग में नया नजरिया देने वाले इस विकास पुरुष ने राजनीति का जो मोदीनामा लिखा है, वह ढेरों साहसी सिकंदरों और गुरु चाणक्यों को जननेता बनने के लिए प्रेरित करेगा।

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