पांच हजार से अधिक पेड़ों की बलि चढ़ेगी
प्रदेश में विकास के नाम पर प्रतिवर्ष हजारों वृक्षों की बलि चढ़ती है, लेकिन उसकी जगह नए पौधे नहीं पनप रहे हैं। नरोली, दादरा, रखोली, गलौंडा फोरलेन के दौरान 10 हजार से अधिक पेड़ काटे गए। रखोली से खानवेल व डोकमर्डी से किलवणी तक मार्ग का विस्तारीकरण चल रहा है। इन मार्गों पर पांच हजार से अधिक पेड़ों की बलि चढ़ेगी। फिलहाल सडक़ के दोनों ओर यूकेलिप्टस, अमलतास, इमली, बबूल के पेड़ लगे हैं। सामरवरणी से खानवेल मार्ग का 1995 में पहली बार टु लेन में विस्तार हुआ। इसके निर्माण के बाद दोनों ओर छायादार पेड़ लगाए गए थे। यह पेड़ बढक़र विशाल हो गए हैं। रखोली से दपाड़ा सतमालियां तक अमलतास के 50 वर्ष पुराने पेड़ हैं, जिससे सडक़ की शोभा बरकरार है। बिन्द्राबीन से खानवेल तक यूकेलिप्टस के पेड़ लगे हुए हैं। इन पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग ने परमीशन दे दी है। कार्यपालक इंजीनियर के बी वालंद ने बताया कि सिलवासा से खानवेल तक फोरलेन का निर्माण दो चरण में पूरा होना है। पहले चरण का कार्य पूर्ण हो गया है, द्वितीय चरण का कार्य अगले पांच वर्ष तक पूर्ण कर लिया जाएगा। राष्ट्रीय मार्ग संख्या आठ से तलासरी होते हुए जोडऩे के लिए विस्तारीकरण का दबाव है। सडक़ सीमा में आने वाले पेड़ों को काटने के लिए पहले चिन्हित किया गया था, जिसे वन विभाग ने हरी झंडी दे दी है। फोरलेन होने के बाद खानवेल, आंबोली, दपाड़ा, सुरंगी विस्तार में स्थापित उद्योगों में माल परिवहन और आसान हो जायेगा। फोरलेन के बाद उद्योग सीधे राजमार्ग 8 से जुड़ जाएंगे।
प्रदेश में विकास के नाम पर प्रतिवर्ष हजारों वृक्षों की बलि चढ़ती है, लेकिन उसकी जगह नए पौधे नहीं पनप रहे हैं। नरोली, दादरा, रखोली, गलौंडा फोरलेन के दौरान 10 हजार से अधिक पेड़ काटे गए। रखोली से खानवेल व डोकमर्डी से किलवणी तक मार्ग का विस्तारीकरण चल रहा है। इन मार्गों पर पांच हजार से अधिक पेड़ों की बलि चढ़ेगी। फिलहाल सडक़ के दोनों ओर यूकेलिप्टस, अमलतास, इमली, बबूल के पेड़ लगे हैं। सामरवरणी से खानवेल मार्ग का 1995 में पहली बार टु लेन में विस्तार हुआ। इसके निर्माण के बाद दोनों ओर छायादार पेड़ लगाए गए थे। यह पेड़ बढक़र विशाल हो गए हैं। रखोली से दपाड़ा सतमालियां तक अमलतास के 50 वर्ष पुराने पेड़ हैं, जिससे सडक़ की शोभा बरकरार है। बिन्द्राबीन से खानवेल तक यूकेलिप्टस के पेड़ लगे हुए हैं। इन पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग ने परमीशन दे दी है। कार्यपालक इंजीनियर के बी वालंद ने बताया कि सिलवासा से खानवेल तक फोरलेन का निर्माण दो चरण में पूरा होना है। पहले चरण का कार्य पूर्ण हो गया है, द्वितीय चरण का कार्य अगले पांच वर्ष तक पूर्ण कर लिया जाएगा। राष्ट्रीय मार्ग संख्या आठ से तलासरी होते हुए जोडऩे के लिए विस्तारीकरण का दबाव है। सडक़ सीमा में आने वाले पेड़ों को काटने के लिए पहले चिन्हित किया गया था, जिसे वन विभाग ने हरी झंडी दे दी है। फोरलेन होने के बाद खानवेल, आंबोली, दपाड़ा, सुरंगी विस्तार में स्थापित उद्योगों में माल परिवहन और आसान हो जायेगा। फोरलेन के बाद उद्योग सीधे राजमार्ग 8 से जुड़ जाएंगे।
आसमानी आग से पौधे समाप्त
वन विभाग की और से प्रतिवर्ष जंगल एवं सार्वजनिक स्थलों पर लाखों पौधारोपण किया जाता है। पौधारोपण के बाद उसकी समय पर देखभाल नहीं होती है। मानसून में पौधारोपण के बाद गर्मी में सिंचाई एवं सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की जाती, जिससे नए पौधे मर जाते हैं। सिंदोनी के चिंसदा वनारक्षित क्षेत्र में गत वर्ष 10 हजार से अधिक पौधे लगाए थे। वे अब जीवित नहीं हैं। गर्मी में सिंचाई और देखभाल के अभाव से नन्हे पौधे नष्ट हो गए हैं। मांदोनी, खानवेल, दूधनी में भी हजारों पौधे लगाए गए थे, जिसमें अधिकांश मर गए हैं। परिणामस्वरूप जंगल में पेड़ बढऩे की बजाए कम हो रहे हैं।