हर वर्ष बढ़ जाते हैं २०-३० जानवर
वन अधिकारियों के अनुसार सतमालियां में प्रतिवर्ष 20 से 30 जानवर बढ़ जाते हैं। सांभर, चीतल व नील गायों की संख्या 400 से अधिक हो गई है। जिससे जानवरों के लिए घास व खाद्यान्न की समस्या पैदा होने लगी है। वन विभाग की ओर से जानवरों को सूखी घास एवं सप्लीमेंट्री आहार दिया जा रहा है।
हिरण, नीलगाय, जंगली लोमड़ी, चीतल, खरगोश, मोर, जंगली बिल्ली, सरिसृप, अजगर भी रहते हैं
इस जंगल में सांभर के अलावा हिरण, चौसिंगा, नीलगाय, जंगली लोमड़ी, चीतल, खरगोश, मोर, जंगली बिल्ली, सरिसृप, अजगर आदि सैकड़ों में हैं। यहां हिरण प्रजाति के जानवरों की संख्या सबसे अधिक है। वर्ष 2004 में अभयारण्य का जब लोकार्पण किया गया था, उस समय वन्य शाक प्राणियों की संख्या मात्र 15 थी।
गर्मी से सूख गए तालाब और झरने
भीषण गर्मी में सतमालिया के तालाब और झरने सूख गए हैं। इसमें बहने वाले जलाशय में भी पानी का जलस्तर कम गया है। जानवर इसी जलाशय से प्यास मिटा रहे हैं। कोरोना के बाद अब सतमालिया में बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं। इसमें भ्रमण के लिए विभाग का वाहन उपलब्ध है। सतमालिया के जंगल में भ्रमण के लिए सात किमी लम्बा कच्चा रास्ता तैयार किया गया है।