महाप्रबंधक शुक्रवार को उधना स्टेशन तथा उधना से जलगांव ताप्ती लाइन का निरीक्षण करने आएंगे। उनकी विशेष ट्रेन सुबह सात बजे पहुंचेगी। मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों का दल उनके साथ रहेगा। सूरत और उधना स्टेशन के अधिकारी स्टेशनों पर चल रहे विकास कार्यों को जल्द पूरा करने पर ध्यान दे रहे हैं। सूरत के स्टेशन डायरेक्टर सी.आर. गरूड़ा ने बताया कि उधना स्टेशन पर बाउंड्री वॉल को पूरा कर सर्कुलेटिंग एरिया को बेहतर बनाना है। उधना स्टेशन पर प्लेटफॉर्म संख्या एक और दो को जोडऩे वाला ब्रिज तैयार होने में समय लगेगा। प्लेटफॉर्म संख्या एक पर फाउंडेशन का कार्य पूरा हो गया है, जबकि प्लेटफॉर्म संख्या दो पर बाकी है। उधना स्टेशन पर आने-जाने के लिए अलग-अलग मेन गेट तैयार किए जा रहे हैं। सूरत और उधना स्टेशन पर सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सूरत स्टेशन के एस्केलेटर के लिए स्लैब डालने और तकनीकी खामी को दूर करने का काम भी चल रहा है। पिछली बार महाप्रबंधक ने वर्ष २००८ में उधना स्टेशन का निरीक्षण किया था। इसके बाद दस साल तक कोई महाप्रबंधक स्टेशन की व्यवस्थाओं को देखने नहीं आया।
स्वच्छता अभियान
महाप्रबंधक के दौरे की शुरुआत उधना स्टेशन से होगी। उधना स्टेशन का निरीक्षण पूरा करने के बाद वह ताप्ती लाइन पर बारडोली, मढ़ी, व्यारा, नवापुर, ऊकाई सोनगढ़, नंदुरबार समेत कई स्टेशनों पर जाएंगे। उधना स्टेशन को साफ-सुथरा दिखाने के लिए स्थानीय रेल अधिकारी 16 फरवरी को स्वच्छता अभियान का रूप देंगे। अभियान के पोस्टरों में यात्रियों के लिए रेल सफर में बरती जानी वाली जरूरी बातों का उल्लेख रहेगा।
वेंटिग हॉल की सुविधा नहीं
उधना स्टेशन पर यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय की सुविधा नहीं है। द्वितीय श्रेणी हो या तृतीय श्रेणी वातानुकूलित, सभी यात्रियों को टिकट खिड़की के आसपास या प्लेटफॉर्म पर खड़े होकर ट्रेन का इंतजार करना पड़ता है। प्लेटफॉर्म पर बैठने के लिए चबूतरे और सांसद द्वारा लगाई गई कुर्सियों के अलावा कोई वैकल्पिक सुविधा नहीं है। प्लेटफॉर्म पर यात्रियों के लिए डिजिटल कोच गाइडेंस की मांग लम्बे समय से की जा रही है, जो अब तक पूरी नहीं हुई है।
खिड़की संख्या बढऩी चाहिए
उधना स्टेशन पर करंट टिकट की चार और आरक्षण केन्द्र में तीन खिड़कियों से टिकट दिया जाता है। उत्तरप्रदेश और बिहार जाने वाली ट्रेनों के यात्रियों को जनरल टिकट के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है। ट्रेन रवाना होने से पहले टिकट के लिए मारामारी होती है। करंट टिकट खिड़की संख्या बढ़ाने की योजना थी, जो साकार नहीं हुई। टिकट वेडिंग मशीन में से गुरुवार को एक ही चालू थी। उधना-दानापुर एक्सप्रेस, सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस, सूरत-छपरा ताप्ती गंगा एक्सप्रेस, उधना-वाराणसी भोलेनगरी ट्रेन में सबसे अधिक भीड़ होती है।
उधना स्टेशन पर करंट टिकट की चार और आरक्षण केन्द्र में तीन खिड़कियों से टिकट दिया जाता है। उत्तरप्रदेश और बिहार जाने वाली ट्रेनों के यात्रियों को जनरल टिकट के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है। ट्रेन रवाना होने से पहले टिकट के लिए मारामारी होती है। करंट टिकट खिड़की संख्या बढ़ाने की योजना थी, जो साकार नहीं हुई। टिकट वेडिंग मशीन में से गुरुवार को एक ही चालू थी। उधना-दानापुर एक्सप्रेस, सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस, सूरत-छपरा ताप्ती गंगा एक्सप्रेस, उधना-वाराणसी भोलेनगरी ट्रेन में सबसे अधिक भीड़ होती है।
आरपीएफ-जीआरपी ऑफिस नहीं
ट्रेनों में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है, लेकिन उधना स्टेशन पर पुलिस का कोई कार्यालय दिखाई नहीं देता। रेलवे सुरक्षा बल का कार्यालय स्टेशन पर नहीं, यार्ड की दूसरी तरफ एक कोने में है। यात्रियों को स्टेशन पर किसी जवान को तलाशना हो तो मुश्किल होती है। इसी तरह रेलवे पुलिस का ऑफिस रेलवे के स्टाफ क्वाटर्स में कार्यरत है। प्लेटफॉर्म संख्या एक पर फुटओवर ब्रिज के पास कार्यालय बनना तय है, लेकिन कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ है।
ट्रेनों में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है, लेकिन उधना स्टेशन पर पुलिस का कोई कार्यालय दिखाई नहीं देता। रेलवे सुरक्षा बल का कार्यालय स्टेशन पर नहीं, यार्ड की दूसरी तरफ एक कोने में है। यात्रियों को स्टेशन पर किसी जवान को तलाशना हो तो मुश्किल होती है। इसी तरह रेलवे पुलिस का ऑफिस रेलवे के स्टाफ क्वाटर्स में कार्यरत है। प्लेटफॉर्म संख्या एक पर फुटओवर ब्रिज के पास कार्यालय बनना तय है, लेकिन कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ है।
बैटरी चलित गाडिय़ों का उपयोग कम
सांसद सी.आर. पाटिल ने उधना स्टेशन को बैटरी चलित गाडिय़ां भेंट की थीं। यह गाडिय़ां प्लेटफॉर्म संख्या एक पर खड़ी रहती हैं। प्लेटफॉर्म संख्या दो पर इन गाडिय़ों को ले जाने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। लम्बी दूरी की गाडिय़ां, जो प्लेटफॉर्म संख्या दो-तीन पर खड़ी होती हैं, उनके यात्रियों को बैटरी चलित गाड़ी की सुविधा नहीं मिल पाती। कई बार ट्रेन आने के सामने गाड़ी के चालक सीट पर नहीं होते।
सांसद सी.आर. पाटिल ने उधना स्टेशन को बैटरी चलित गाडिय़ां भेंट की थीं। यह गाडिय़ां प्लेटफॉर्म संख्या एक पर खड़ी रहती हैं। प्लेटफॉर्म संख्या दो पर इन गाडिय़ों को ले जाने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। लम्बी दूरी की गाडिय़ां, जो प्लेटफॉर्म संख्या दो-तीन पर खड़ी होती हैं, उनके यात्रियों को बैटरी चलित गाड़ी की सुविधा नहीं मिल पाती। कई बार ट्रेन आने के सामने गाड़ी के चालक सीट पर नहीं होते।