दक्षिण गुजरात में भाजपा के प्रचार की कमान कई मायनों में स्थानीय नेताओं के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और बिहार के भाजपा नेताओं के हाथ में है। पार्टी ने सालभर पहले इसकी नींव रखते हुए पंडित दीनदयाल विस्तार योजना के तहत हरेक जिले में विस्तारकों को लगाया था। अकेले बिहार से 10 विस्तारक गुजरात आए थे। कुछ को यहां की आबो-हवा सूट नहीं कर पाई तो वह वापस लौट गए, लेकिन पांच लोगों ने यहां जमीनी काम करते हुए लोगों से सम्पर्क कर नए लोगों को पार्टी के काम में सक्रिय कर दिया।
इनके फीडबैक पर बिहार-यूपी के करीब दो दर्जन नेताओं का दल बुधवार को सूरत पहुंचकर काम में जुट गया है। सूरत में दक्षिण गुजरात के मीडिया सेंटर में बिहार के प्रदेश मीडिया प्रभारी राकेश सिंह और अशोक भट्ट को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। स्थानीय स्तर पर यह काम पूर्व महापौर निरंजन झांझमेरा, विनोद जैन और अल्पेश सपकाले के पास है।
प्रदेश अध्यक्ष-संगठन महामंत्री तक पहुंचे
दक्षिण गुजरात में प्रवासियों की बड़ी संख्या का ही असर है कि इस बार उप्र और बिहार के दो दर्जन से अधिक नेता प्रचार खत्म होने के एक दिन पहले सूरत पहुुंच गए। उप्र के 14 मेयरों के साथ प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र पाण्डेय यहां आए तो बिहार भाजपा के संगठन महामंत्री नागेन्द्र अपनी टीम के साथ सूरत पहुंचे। प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय भी गुरुवार को सूरत पहुंच रहे हैं।
इनके अलावा प्रदेश महामंत्री प्रमोद चंद्रवंशी, विधायक राजन कुमार सिंह, मृत्यंंजय झा, संजीव क्षत्रिय, ब्रजेश कुमार चिंटू समेत डेढ़ दर्जन नेताओं का दल बुधवार दोपहर सूरत पहुंचा। पूर्व अध्यक्ष मंगल पाण्डेय और बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय कई दिनों से वापी और वलसाड में जुटे हुए हैं। इन सभी नेताओं को संगठन स्तर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।
ऐसे तैयार हुई जमीन
करीब एक साल पहले भाजपा ने पंडित दीनदयाल विस्तार योजना के तहत बिहार के 10 लोगों को गुजरात भेजा था। इनमें बिहार के आरा के भाजपा कार्यकर्ता कौशल विद्यार्थी ने नवसारी जिले का दायित्व संभलाते हुए आदिवासी विस्तार में लोगों के साथ कार्य किया। बारडोली में ओमप्रकाश भुवन ने प्रवासियों के अलावा स्थानीय लोगों से मेल-जोल बढ़ाया। बिहार के प्रसिद्ध व्यंजन लिट्टी-चोखा का भोज जगह-जगह कराया गया।
उन्होंने जमीनी हकीकत से केन्द्रीय नेतृत्व को अवगत कराकर पार्टी को समय रहते चेताने में भी बड़ी भूमिका अदा की। इसी तरह राजपीपला में सुशील कुमार को संगठन ने बिहार के सासाराम से लाकर विस्तारक बनाया था। सुशील कुमार ने आदिवासियों के बीच जाकर काम किया। स्थानीय नेताओं का उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिला।