पिता : नवलेश गोयल (कपड़ा व्यापारी)
पापा के ऑफिस आकर जाना वह हमारे लिए दादा, चाचा के साथ मिलकर कितना कार्य करते हैं। पापा ग्रेट हैं।
-रिद्धिमा
पिता : सुनील गुप्ता(कपड़ा व्यापारी)
सुबह से ही पापा के ऑफिस जाने की उत्सुकता थी। ऑफिस और दुकान पर उन्होंने ड्रेस मैटेरियल और मंदी की जानकारी दी।
-दृष्टि
मां- डॉ. सोनिया चंदानी
मम्मी के साथ उनके हॉस्पिटल आना और उनके कामकाज को समझना बहुत अच्छा लगा। स्त्री समस्याओं से संबंधी जानकारी मिली।
-प्रणिता
पिता- राजीव गुप्ता (एक्सपोर्ट, कपड़ा व्यापारी)
पापा के ऑफिस में आकर मैंने जाना कि बड़े-बड़े मॉल्स में जो गारमेंट मिलते हैं, उनका कपड़ा कैसे तैयार होता है।
-समीक्षा
पिता- रोहित विजयवर्गीय
पापा के कार्यालय में आकर मुझे यह जानने का मौका मिला कि सीए क्या काम करता है। मैंने पापा द्वारा दिए गए सरल कार्य भी किए और आनंद लिया।
-देविना