सूत्रों ने बताया कि बीजेपी से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री ईश्वर परमार शुक्रवार को कड़ोदरा और पलसाणा क्षेत्र के श्रमिकों को ट्रेन में बैठाने के इरादे से सूरत स्टेशन गए थे। यहां उन्हें रेलवे पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल ने स्टेशन परिसर में जाने से रोक दिया। इसके बाद वह प्लेटफार्म पर नहीं गए और लौट गए। ।ईश्वर परमार ने पत्रिका को बताया कि उन्हें वीआईपी एंट्री एक नम्बर प्लेटफार्म से होने के चलते उधर से जाने के लिए कहा गया था। उन्हें बताया गया कि दो पुलिस के जवान आपके साथ आएंगे। लेकिन गर्मी अधिक होने के कारण वह फिर प्लेटफार्म पर नहीं गए और गाड़ी में बैठे रहे। बाहर में श्रमिकों से मिलने के बाद लौट गए। उल्लेखनीय है कि ओडिशा और राजस्थान जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन के समय जनप्रतिनिधी स्टेशन गए थे और उन्हें किसी ने नहीं रोका गया। लेकिन, बाद में कांग्रेस शहर प्रमुख समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद अब किसी को भी स्टेशन पर जाने से मना किया जा रहा है। हकीकत क्या है, इसकी स्पष्टता रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी भी नहीं कर पा रहे हैं।
क्या है मामला..? पहले दिन शहर के सभी प्रशासनिक अधिकारी जिला कलेक्टर डॉ. धवल पटेल, पुलिस आयुक्त राजेन्द्र ब्रह्मभट्ट और मनपा आयुक्त बंछानिधी पाणी समेत अन्य अधिकारी ट्रेन को रवाना करने पहुंचे थे। इनके अलावा सांसद दर्शना जरदोष, सी. आर. पाटील, विधायक संगीता पाटील के अलावा भाजपा के जन प्रतिनिधि बड़ी संख्या में रेलवे स्टेशन पहुंचे थे और सी. आर. पाटील ने भाजपा के झंडे से ओडिशा जाने वाली प्रथम श्रमिक स्पेशल ट्रेन को झंडी दिखाई थी। इसके बाद शहर कांग्रेस प्रमुख बाबु रायका भी श्रमिक स्पेशल ट्रेन के यात्रियों का किराया 7.78 लाख रुपए रेलवे को देने के बाद ट्रेन को झंडी दिखाने गए थे। रेलवे सुरक्षा बल कांग्रेस प्रमुख समेत चार जनों को हिरासत में लेकर रेलवे पुलिस थाने में लॉक डाउन भंग करने के लिए एफआईआर दर्ज करवाया था। इसके बाद से रेल मंत्रालय ने स्टेशन परिसर में जन प्रतिनिधियों तथा मीडिया को जाने पर रोक लगा दी है।