भाजपा के पास मजबूत संगठन की कमी रही
इस बार चुनाव से पहले पार्टी के पास मजबूत संगठन की कमी रही। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक जादव, पार्टी के वरिष्ठ नेता विनीत मूंदड़ा, महामंत्री अनिल पटेल को चुनाव प्रचार में खास जिम्मेदारी नहीं मिली। नाराज युवा नेता अंकिता पटेल ने ऐनवक्त पर पाला बदलकर शिवसेना से चुनाव मैदान में उतर गई। ग्रामीण क्षेत्रों के संगठन नेता विरोधी पक्ष में मिल गए। पार्टी को मोरखल, सिली, गलौंडा, मसाट, सायली, दपाड़ा, आंबोली, खानवेल, मांदोनी, कौंचा, दूधनी, सुरंगी, किलवणी, रांधा, आंबोली, खेरड़ी में बड़ा नुकसान हुआ। वर्ष 2009 के चुनाव में खेरड़ी के मतदाताओं ने कांग्रेस का सारा खेल बिगाड़ दिया था। विजय के बाद निर्दलीय प्रत्याशी मोहनभाई डेलकर ने पत्रकारों से कहा कि उनकी जीत में प्रदेश की जनता और कार्यकर्ताओं की मुख्य भूमिका रही है। वे सबको साथ लेकर प्रदेश के विकास को ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। विजय के लिए उन्होंने प्रदेश की जनता को आभार जताया।
इस बार चुनाव से पहले पार्टी के पास मजबूत संगठन की कमी रही। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक जादव, पार्टी के वरिष्ठ नेता विनीत मूंदड़ा, महामंत्री अनिल पटेल को चुनाव प्रचार में खास जिम्मेदारी नहीं मिली। नाराज युवा नेता अंकिता पटेल ने ऐनवक्त पर पाला बदलकर शिवसेना से चुनाव मैदान में उतर गई। ग्रामीण क्षेत्रों के संगठन नेता विरोधी पक्ष में मिल गए। पार्टी को मोरखल, सिली, गलौंडा, मसाट, सायली, दपाड़ा, आंबोली, खानवेल, मांदोनी, कौंचा, दूधनी, सुरंगी, किलवणी, रांधा, आंबोली, खेरड़ी में बड़ा नुकसान हुआ। वर्ष 2009 के चुनाव में खेरड़ी के मतदाताओं ने कांग्रेस का सारा खेल बिगाड़ दिया था। विजय के बाद निर्दलीय प्रत्याशी मोहनभाई डेलकर ने पत्रकारों से कहा कि उनकी जीत में प्रदेश की जनता और कार्यकर्ताओं की मुख्य भूमिका रही है। वे सबको साथ लेकर प्रदेश के विकास को ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। विजय के लिए उन्होंने प्रदेश की जनता को आभार जताया।
नेतृत्व की कमी
भाजपा की हार के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता मूंदड़ा ने नटूभाई पटेल की कमजोर नेतृत्व शक्ति को जिम्मेदार ठहराया है। पटेल ने पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं रखा। दीपक जादव कहते हैं देश में भाजपा की सुनामी लहर के बावजूद पार्टी की हार का कारण स्वयं नटूभाई पटेल हैं। चुनाव के दौरान भी पटेल ने पार्टी संगठन पर ध्यान नहीं दिया।
भाजपा की हार के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता मूंदड़ा ने नटूभाई पटेल की कमजोर नेतृत्व शक्ति को जिम्मेदार ठहराया है। पटेल ने पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं पर भरोसा नहीं रखा। दीपक जादव कहते हैं देश में भाजपा की सुनामी लहर के बावजूद पार्टी की हार का कारण स्वयं नटूभाई पटेल हैं। चुनाव के दौरान भी पटेल ने पार्टी संगठन पर ध्यान नहीं दिया।
कांग्रेस बैकफुट पर, प्रत्याशी की जमानत जब्त
कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली दादरा नगर हवेली की सीट पर पार्टी बैकफुट पर आ गई है। इस बार पार्टी जमानत बचाने में भी असफल रही है। पार्टी प्रत्याशी प्रभु टोकिया को सिर्फ 8608 वोट मिले। नवनिर्वाचित सांसद मोहनभाई डेलकर के कांग्रेस छोडऩे से पार्टी में संगठन की कमी खल रही है। वर्तमान में जिला पंचायत और ग्राम पंचायतों में कांग्रेस का बहुमत है, लेकिन इनके पदाधिकारी डेलकर के समर्थक हैं। वे कभी भी पार्टी छोड़ सकते हैं।
डेढ़ प्रतिशत वोटरों को कोई प्रत्याशी पसंद नहीं
प्रदेश में कुल वोटिंग का डेढ़ प्रतिशत मतदाताओं ने किसी उम्मीद्वार के पक्ष में मतदान नहीं किया। कुल 2 लाख, 50 हजार, 21 मतदाताओं में से १ लाख, 98 हजार, 982 मतदाताओं ने वोट डाले। इसमें 2950 वोट नोटा को मिले।
रात 10 बजे तक हुई मतगणना:-23 मई को कराड़ पॉलिटेक्निक कॉलेज में मतों की गणना रात साढ़े दस बजे पूर्ण हुई। प्रदेश के 198982 मतदाताओं की गिनती करने में निर्वाचन अधिकारियों को करीब 15 घंटे लग गए।