
उन्होंने बताया कि मैं ब्रिटेन में पले बढ़े अपने दोनों को बच्चों प्रियम (16) व आरुष (14) को विविधताओं में एकता वाले हमारे देश और संस्कृति से परिचित करवाना है। इसके लिए हमने देश के एतिहासिक व नई पुरानी सांस्कृतिक धरोहरों को चिन्हित किया है। खास कर भारत की पुरातन सभ्यता और संस्कृति के प्रतिकों जिनकी शुरुआत सिंधु सभ्यता के धोलावीरा से होती है।
क्योंकि विदेशों में भारत तस्वीर सिर्फ ताजमहल और अन्य एक दो प्रतिकों तक की सीमित कर दी गई है। जबकि भारत में ऐसे सैकड़ों धरोहरे हैं। ताकी वे असली भारत को जाने और उसे विदेशों की नई पीढ़ी तक पहुंचा सके। भारुतला ने कहा कि वे अपनी यात्रा की शुरुआत संभवत 18 जून को महात्मा गांधी की कर्म स्थली दांडी से करेगी।
पहले गुजरात में देश के पश्चिमी छोर पहुंचेगी। वहां से उत्तर में सिया-चिन, अरुणाचल प्रदेश, कन्याकुमारी होते हुए लौटेंगी। 15 अगस्त उत्तर में भारत के अंतीम छोर सिया चिन पहुंच कर वहां पर तिरंगा फहराएगी और आजादी का अमृत महोत्सव मनाएंगी। देश के विभिन्न राज्यों को कवर करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देंगी। रास्ते में पडऩे वाले शहीदों लिस्ट तैयार की है।
जिन शहीदों के स्मारक नहीं उनके गांव की मिट्टी को हम श्रद्धांजलि देंगे। साथ ही लोगों में कैंसर और टीबी के प्रति जागरुकता लाने का प्रयास भी करेंगें। मैं खुद भी कैंसर को झेल चुकी और उसे मात देकर आज पूरी उर्जा के साथ अपने काम में जुटी हूं।
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