श्रोताओं का किया मंत्रमुग्ध
प्रतापगढ़ से आए कवि सुरेंद्र सुमन ने व्रत करो उपवास करो, लेकिन बाबा के चक्कर में न पड़ो। कोख में ना बेटियो पे वार हो। भ्रूण हत्या का फिर ना पाप हो।। मातृ शारदे को मेरी वंदना स्वीकार हो…। सुनाकर भावविभोर कर दिया। कवि सम्मेलन में भक्त मंडल के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में श्रोताओं ने उपस्थित देर रात तक कवि सम्मेलन का आनंद लिया। मंदसौर से आए रामु हठिला ने…कोआ को हंस बनकर अब और चुंगने नहीं देंगे…मेरे देश पर घात करने वाले ऐ पाकिस्तान तुझे जड़ से उखाड़ देंगे… सुनाया। जानी बैरागी ने जैसे ही मंच से मत उंगलिया उठाया करो सरहदों पर…वहां भारत के भाग्य विधाता रहते हैं…श्रोताओं ने भी तालिया बजाकर देश भक्तों को जोश भर देने वाली कविता का अभिवादन किया।
महावीर से क्षमा मांग हथियारा उठाना पड़ता
जन्म भूमि के खातिर जीवन दाव लगाना पड़ता है…महावीर से क्षमा मांग हथियारा उठाना पड़ता है…। मैने अपनी कविता में उन दुष्टों को गाली दी है…जिन दुष्टों ने भारत की बर्बादी पर गाली दी है…जैसी वीर रस से भरी कविता सुनाकर कोटा से आए परमानंद दाबीच ने श्रोताओं में जोश भर दिया।
जन्म भूमि के खातिर जीवन दाव लगाना पड़ता है…महावीर से क्षमा मांग हथियारा उठाना पड़ता है…। मैने अपनी कविता में उन दुष्टों को गाली दी है…जिन दुष्टों ने भारत की बर्बादी पर गाली दी है…जैसी वीर रस से भरी कविता सुनाकर कोटा से आए परमानंद दाबीच ने श्रोताओं में जोश भर दिया।