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परोस रहे सपने, समस्याओं का रोना

locationसूरतPublished: Oct 12, 2021 11:52:04 pm

Submitted by:

Gyan Prakash Sharma

दादरा नगर हवेली: उप चुनाव

परोस रहे सपने, समस्याओं का रोना

परोस रहे सपने, समस्याओं का रोना

सिलवासा. देश में लोकसभा उप चुनाव तीन सीटों पर हो रहे हैं। इनमें दादरा नगर हवेली भी एक हैं। सांसद मोहन डेलकर की खुदकुशी के बाद यह सीट पिछले 8 माह से खाली पड़ी हुई है। 30 अक्टूबर को रहे उप चुनाव में डेलकर की पत्नी कलाबेन डेलकर ने इस बार शिवसेना पार्टी से पर्चा भरा है, जिनका मुकाबला भाजपा के महेश गावित से हैं।

ज्यों-ज्यों मतदान की तारीख नजदीक आ रही हैं, चुनाव प्रचार जोर पकडऩे लगा हैं। दोनों ओर से मतदाताओं को लुभाने के लिए जोर-आजमाइश का खेल शुरू हो गया है। दोनों तरफ से जनता से वादे, लुभावने सपने परोसे जाने लगे हैं, वहीं मतदाता अपने क्षेत्र की समस्याओं का रोना रो रहे रहे हैं।

अत्यंत पिछड़े गांव


प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये खर्च करने के बाद दादरा नगर हवेली के सिंदोनी, बेड़पा, बेसदा, चिसदा, खेड़पा, वांसदा, बिलदरी, अंबाबारी, घोड़बारी, जमालपाड़ा, करचौंद, खेरड़बारी, वाघचौड़ा, कौंचा, गुनसा, तलावली, रूदाना, उमरवरणी, गोरातपाड़ा, उमरकुई, लुहारी, नाना रांधा, बोंता, कराड़ में लोगों को कच्चे घरों से मुक्ति नहीं मिली हैं। गांवों में रोजगार के नए साधन सृजित नहीं हो सके हैं। सिंचाई के अभाव से मानसून के बाद खेती का अभाव है। यहां के अधिकांश युवा उद्योग, सड़क व सिविल ठेकेदारों के पास काम करते हैं। सरकार की ओर से रोजगार की योजनाओं का अभाव है।
रोजगार की कमी

केन्द्र की विकास योजनाओं के बावजूद सिंदोनी, मांदोनी, लुहारी, रूदाना में कई गांव आज भी जीवन की मुख्य धारा में सम्मिलित नहीं हो सके हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के साथ उद्योगों में घटते रोजगार से आदिवासी युवा पीढ़ी परेशान है। प्रदेश में कृषि, पशुपालन, घरेलु व कुटीर उद्योग आदि हासिए पर चले गए हैं। उद्योगों में स्थानीय को नौकरी मिलना मुश्किल हो गया है। प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को बंद करने जैसे चुनावी मुद्दे हैं।
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