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सोशल मीडिया पर बजेगी प्रचार की रणभेरी

locationसूरतPublished: Jul 28, 2020 09:45:09 am

गुजरात विधानसभा उपचुनाव- दक्षिण गुजरात की तीन समेत गुजरात की आठों विधानसभा सीटों पर फीका रहेगा प्रचार का रंग, डिजिटल और सोशल मीडिया पर लड़ी जाएगी जंग

सोशल मीडिया पर बजेगी प्रचार की रणभेरी

सोशल मीडिया पर बजेगी प्रचार की रणभेरी

विनीत शर्मा/दिनेश भारद्वाज

सूरत. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल टीम का असल इम्तिहान अब देखने को मिलेगा। लोकतंत्र के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार होगा कि गाड़ी-घोड़ा-बैंड-बाराती सब होंगे अर्थात विधानसभा उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी, निर्दलीय, चुनाव आचार संहिता, धन-बल सबकुछ होगा मगर चुनाव प्रचार का शोर सुनाई नहीं देगा। यह पहला चुनाव होगा जिसमें डोर टु डोर संपर्क के पुराने तरीके को तिलांजलि देकर डिजिटल और सोशल मीडिया के जरिए मतदाताओं तक पहुंच बनाई जाएगी।

पिछले दिनों संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफा देने से विधानसभा की सीटें खाली हुई हैं। इन पर सितंबर तक चुनाव कराए जाने हैं। निर्वाचन विभाग ने भले इन सीटों पर उपचुनाव का खाका अभी नहीं खींचा हो, भाजपा और कांग्रेस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। चुनाव की तारीखों का इंतजार होते ही सक्रियता बढ़ जाएगी।

कोविड-19 बनेगा बदलाव की वजह

रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव के बाद कोविड-19 का असर अब विधानसभा उपचुनाव में भी दिखेगा। जरूरी होने पर ही घर से निकलने, मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल जैसी गाइडलाइन के बाद प्रचार के लिए कार्यकर्ताओं का जुटना भी दोनों दलों के लिए खासा चुनौतीभरा साबित होगा। मौजूदा माहौल में ऐसे हालात में गांव-गांव, गली-गली और घर-घर जाकर चुनाव प्रचार करना बड़े खतरे का सबब भी बन सकता है। दोनों ही दलों में पार्टी आलाकमान भी नहीं चाहता कि प्रचार के बहाने लोग जुटें और कोरोना के बढऩे का ठीकरा उनके सिर फूटे। इसीलिए इस बार जमीन पर प्रचार का जोर कम ही दिखेगा। लोगों तक पहुंचने के लिए डिजिटल और सोशल मीडिया का जोर ज्यादा दिखेगा। इस बार प्रचार की रणभेरी सोशल मीडिया पर ही बजेगी।

दूर-दराज के गांवों में होगी मुश्किल

गुजरात की आठ विधानसभा सीट में कई सीटें आदिवासी बहुल हैं। यहां वर्चुअल, सोशल और डिजिटल पहुंंच बनाना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही खासा मुश्किलभरा साबित होने वाला है। दूरदराज बसे गांवों में नेटवर्क की दिक्कत पेश आएगी और डिजिटल प्रचार की तैयारियां धरी रह जाएंगी। ऐसी स्थिति में मतदाताओं तक पहुंच बनाना दोनों ही दलों के लिए खासा मुश्किलभरा है।

बंद कमरों में बन रही रणनीति

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल सोशल मीडिया पर मतदाताओं से संपर्क साधने के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं। दोनों दलों ने अपनी आइटी सेल को इस काम में लगाया गया है। भाजपा जहां इस खेल की पुरानी खिलाड़ी है, विधानसभा 2017 के चुनाव में पाटीदार आंदोलन की आइटी सेल ने कांग्रेस को खासी बढ़त दिलाई थी। हार्दिक की ताजपोशी के बाद कांग्रेस को पाटीदार आंदोलन के समय के आइटी एक्सपर्ट से मदद मिल सकती है।

यह है स्थिति

दोनों ही दल फिलहाल संगठन को मजबूत करने पर फोकस कर रहे हैं। जानकारों की मानें तो भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर आए पांच लोगों के टिकट लगभग फाइनल कर लिए हैं। उन्हें भी अपने क्षेत्र में जाकर तैयारियां शुरू करने की हिदायत दे दी गई है। अन्य तीन सीटों पर भी आलाकमान मन बना चुका है, लेकिन आखिरी वक्त में नाम बदलने की गुंजाइश अभी बाकी है। उधर, कांग्रेस को भाजपा की सूची का इंतजार है।
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