मामले की जांच कर रहे पुलिस निरीक्षक केबी झाला ने बताया कि डॉ. हेतल फर्जी प्रिस्क्रिप्शन का उपयोग कर सूरत जनरल मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन हासिल करती थी। ऐसे दो फर्जी प्रिस्क्रिप्शन मिले हैं। इस मामले में स्टोर के संचालक मयंक की संदिग्ध भूमिका की जांच जारी है। इसके अलावा विजय से भी इंजेक्शन लेने की बात सामने आई है। वहीं व्रजेश जीओ मैक्स अस्पताल में कैश काउन्टर पर नौकरी करता है। अस्पताल के कोविड मरीजों के लिए कितने इंजेक्शन हासिल किए थे और कितने बेचे इस बारे में पूछताछ की जा रही है।
अब तक की जांच में दो इंजेक्शनों की कालाबाजारी सामने आई है। तीनों ने कितने इंजेक्शन अवैध तरीके से हासिल कर बेचे इस बारे में पूछताछ जारी है। उल्लेखनीय है कि अमरोली श्री गणेश रेजिडेंसी निवासी रसिक कथीरिया, अठवागेट स्थित ट्रॉई अस्पताल में काम करने वाली उसकी पुत्री डॉ. हेतल कथीरिया व निजी अस्पताल के कर्मचारी व्रजेश मेहता इंजेक्शन की कालाबाजारी का नेटवर्क चला रहे थे।
नकली टॉसिलीजुमैब व रेमडेसिविर की कालाबाजारी की आशंका
पुलिस ने बताया कि मरीजों के परिजनों से आरोपी टॉसिलीजुमैब इंजेक्शन की खाली वायल वापस मांगते थे। वे खाली वायल का क्या करते थे, इस बारे में पूछताछ की जा रही है। इनके तार नकली इंजेक्शन बनाने वालों से तो नहीं जुड़े है या खुद ही नकली इंजेक्शन बना कर तो नहीं बेचते थे, इसकी पड़ताल जारी है। इसके अलावा रेमडेसिविर इंजेक्शन भी बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमत पर बेचने की बात सामने आई है। इस बारे में छानबीन की जा रही है।
———–