यूं बनते हैं संयोग
ज्योतिष मत से एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। जबकि एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, और वह अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास कहलाता है। यह भी बताते हैं कि अधिक मास की वजह से ही सभी त्योहार अपने सही समय पर मनाए जाते हैं। जिस महीने में अधिकमास आता है उसके बाद के त्योहार 15-20 दिन विलंब से आते हैं और फिर उनके आगे निर्धारित समय पर आने का क्रम बना रहता है।
अगला 2039 में आएगा
आश्विन मास में अधिक मास 19 वर्ष पहले 2001 में आया था और अगला 19 वर्ष बाद अर्थात 2039 में आएगा। अधिक मास तीन-तीन वर्ष के अंतराल पर आने से यह क्रम बनता है और इससे पहले अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास ज्येष्ठ माह में आया था। अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास के दौरान आश्विन माह में विशेष भक्ति-भाव के आयोजन सूरत महानगर में किए जाएंगे। हालांकि कोविड-19 की वजह से यह आयोजन धूमधाम से किए जाए, इस पर फिलहाल संदेह बना हुआ है। हालांकि आश्विन माह के आगमन में अभी तीन माह का समय भी बाकी है और तब तक कोविड-19 किस परिस्थिति में रहे, इसका कहना मुश्किल है।
पुण्यकारी मास अधिक मास
भगवान श्रीहरि की विशेष भक्ति के लिए ही अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास का आगमन तीन वर्ष के अंतराल पर होता है। इस मास में की गई भक्ति विशेष फलदायी होती है और यहीं वजह है कि बड़े पैमाने पर अधिकमास में धार्मिक आयोजन किए जाते हैं।
पं. शिवरतन दाधीच, ज्योतिषाचार्य