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चार नहीं इस बार पांच माह का होगा चातुर्मास

locationसूरतPublished: Jul 01, 2020 09:10:04 pm

Submitted by:

Dinesh Bhardwaj

प्रत्येक तीन वर्ष में आने वाले अधिक मास की वजह से इस बार त्योहार-उत्सव में रहेगा विलम्ब

चार नहीं इस बार पांच माह का होगा चातुर्मास

चार नहीं इस बार पांच माह का होगा चातुर्मास

सूरत. आषाढ़ शुक्ल एकादशी अर्थात देवशयन एकादशी से भगवान श्रीहरि समेत समस्त देव-देवी चार माह के लिए विश्रामकाल में चले गए, लेकिन इस बार देवताओं का विश्रामकाल चार माह का नहीं बल्कि पांच माह का रहेगा। इसकी वजह में तीन वर्ष बाद आए अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास को बताया गया है।
ज्योतिष मत में प्रत्येक तीन वर्ष में अधिक मास का आगमन होता है और यह हर बार माह बदलकर आता है। इस बार अधिक मास का आगमन आश्विन मास में हो रहा है जो कि 19 वर्ष पहले वर्ष 2001 में इसी माह में आया था। अधिक मास इस बार चातुर्मास काल के दौरान आ रहा है और इस वजह से इस बार चातुर्र्मास काल चार माह के बजाय पांच महीने का रहने वाला है। वहीं, त्योहार-उत्सव भी अधिक मास की वजह से इस बार 15 से 20 दिन के विलम्ब से आएंगे। अधिक मास के दौरान भगवान श्रीहरि का सत्संग-पूजन का बड़ा महत्व बताया गया है और हर बार धार्मिकनगरी सूरत में अधिक मास के दौरान बड़े पैमाने पर श्रीमद्भागवत कथा, श्रीराम कथा, श्रीशिव कथा, श्रीमद्देवी भागवत कथा, यज्ञ-हवन, भजन-कीर्तन के आयोजन किए जाते रहे हैं, लेकिन इस बार कोविड-19 की वजह से ऐसे आयोजन नहीं हो पाएंगे।

यूं बनते हैं संयोग


ज्योतिष मत से एक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। जबकि एक चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है। ये अंतर हर तीन वर्ष में लगभग एक माह के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अतिरिक्त आता है, और वह अतिरिक्त होने की वजह से अधिकमास कहलाता है। यह भी बताते हैं कि अधिक मास की वजह से ही सभी त्योहार अपने सही समय पर मनाए जाते हैं। जिस महीने में अधिकमास आता है उसके बाद के त्योहार 15-20 दिन विलंब से आते हैं और फिर उनके आगे निर्धारित समय पर आने का क्रम बना रहता है।

अगला 2039 में आएगा


आश्विन मास में अधिक मास 19 वर्ष पहले 2001 में आया था और अगला 19 वर्ष बाद अर्थात 2039 में आएगा। अधिक मास तीन-तीन वर्ष के अंतराल पर आने से यह क्रम बनता है और इससे पहले अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास ज्येष्ठ माह में आया था। अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास के दौरान आश्विन माह में विशेष भक्ति-भाव के आयोजन सूरत महानगर में किए जाएंगे। हालांकि कोविड-19 की वजह से यह आयोजन धूमधाम से किए जाए, इस पर फिलहाल संदेह बना हुआ है। हालांकि आश्विन माह के आगमन में अभी तीन माह का समय भी बाकी है और तब तक कोविड-19 किस परिस्थिति में रहे, इसका कहना मुश्किल है।

पुण्यकारी मास अधिक मास


भगवान श्रीहरि की विशेष भक्ति के लिए ही अधिक मास अर्थात पुरुषोत्तम मास का आगमन तीन वर्ष के अंतराल पर होता है। इस मास में की गई भक्ति विशेष फलदायी होती है और यहीं वजह है कि बड़े पैमाने पर अधिकमास में धार्मिक आयोजन किए जाते हैं।
पं. शिवरतन दाधीच, ज्योतिषाचार्य