scriptकविता में पिरोए बचपन के किस्से | childhood dreams in poem | Patrika News

कविता में पिरोए बचपन के किस्से

locationसूरतPublished: Sep 12, 2018 12:30:38 pm

बृजमंडल के आयोजन में गूंजा गीता का ज्ञान, व्यास ने अपने नाम किया कवि सम्मेलन

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कविता में पिरोए बचपन के किस्से

सूरत. मुम्बई से आए कांकरोली के सुनील व्यास ने सहज अंदाज में कविता में बचपन के किस्से पिरो कर पूरा कवि सम्मेलन अपने नाम कर लिया। विदिशा के अमित शर्मा ने गीता के ज्ञान को कविता में ढाला तो धौलपुर के रामबाबू सिकरवार ने बृजधाम के मंच पर बृजभाषा में कृष्ण की वंदना की।
श्री बृजमंडल सूरत की ओर से कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर 3 सितंबर से शुरू हुआ श्रीकृष्ण लीला महोत्सव 2018 मंगलवार रात कवि सम्मेलन के साथ सम्पन्न हो गया। कवियों ने हास्य की फुहारों से दर्शकों को गुदगुदाया तो श्रृंगार और ओज की रसधार भी खूब बही। गांव की यादें मंच पर उतार कर आधी रात बाद तक चले कवि सम्मेलन को कांकरोली के सुनील व्यास ने अपने नाम कर लिया। सबसे अंत में कविता पाठ करने आए व्यास ने सहज और सधे हुए अंदाज में बचपन के किस्सों को याद किया। बचपन में मां की पोटली में छिपी खुशियों की तिजोरी का रहस्य सामने रखा। हास्य की फुहारों के बीच व्यास ने गांवों में तेजी से होते शहरीकरण पर चोट की। उनकी लंबी कविता की पंक्तियों ‘हम भाइयों ने शहरी बनने के लिए खानदानी खेत बांट लिए, जहां फसलें काटनी थीं वहां प्लाट काट लिए’ ने लोगों को झकझोर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। दिल्ली से आईं खुशबू शर्मा ने ‘अपने सुर मुझको भी दे दो मां सुरों की रानी, ज्ञान की ज्योति जल दो मां सुरों की रानी’ से मां सरस्वती की वंदना की। उसके बाद मंच पर आए इंदौर के चेतन चर्चित ने माइक संभाला और हास्य-व्यंग्य के बीच कविता सुनाई। आरक्षण की विसंगतियों पर उनकी कविता को जमकर तालियां मिलीं। ‘इस देश मे पढ़ा लिखा होना बड़ी बात नहीं है, मै बेरोजगार इसलिए हू कि मेरी आरक्षित जात नहीं है’ और ‘एक दिन यह आरक्षण की भैंस सभी अक्ल वालों को चर जाएगी’ जैसे तीखे तंज आरक्षण व्यवस्था पर सवाल खड़े करते दिखे। सरकारी योजनाओं और मोदी के आश्वासन पर तंज कसती चेतन की कविता को भी दर्शकों ने पसंद किया।
ओज के कवि विदिशा के अमित शर्मा ने बंटवारे पर कविता ‘हिंदुस्तान की माटी का परिवेश अधर में छोड़ दिया, बंटवारा करके भी बापू देश अधर में छोड़ दिया, दो थप्पड़ के बदले में एक थप्पड़ तो मारा करते, बंटवारा भी करना था तो दहंग से बंटवारा करते’ सुनाई। रणभूमि में अर्जुन को कृष्ण के गीत ज्ञान पर अमित की कविता ‘न तो जीवन देने वाले नहीं मारने वाले हो, न जीत तुम्हारे हाथों में, तुम न ही हारने वाले हो’ को भरपूर दाद मिली। धौलपुर से आए रामबाबू सिकरवार ने फिल्मी गीतों की पैरोडी के माध्यम से नोटबंदी समेत अन्य मुद्दों पर कविता पढ़ी। बृजभाषा में कृष्ण प्रसंग पर उनकी कविता ‘जैसे घर गृहिणी बिन सूना, बिन प्राण ज्यों तन कुछ भी ना, ज्यों करनी बिन कथनी सूनी, सूनी अवध बिन राम, श्याम बिन सूनो री बृजधाम’ बृजधाम से जुड़े लोगों के दिल को छू गई। मंच का संचालन कर रहे मेरठ के प्रशांत अग्रवाल ने कविता के माध्यम से घर से दूर गए व्यक्ति की पीड़ा को सामने रखा। उनकी कविता ‘मां मुझको तेरा समझाना याद आता है’ को लोगों ने पसंद किया।
पुरस्कारों ने बढ़ाया बच्चों का उत्साह

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कार्यक्रम की शुरुआत श्री बृजमंडल और राजस्थान पत्रिका के तत्वाधान में बीते रविवार को तीन वर्ग में हुए ड्राइंग कम्पीटिशन के विजेता बच्चों को पुरस्कृत करने से हुई। आयकर आयुक्त ए.के. खंडेलवाल और उनकी पत्नी ने प्रतियोगिता के विजेता बच्चों को प्रमाण-पत्र, उनकी बनाई पेंटिंग्स और पुरस्कार दिए। प्रतियोगिता के विजेताओं में दृष्टि बैद प्रथम, डेजिल दूधवाला द्वितीय और काव्या मेंगोतिया तृतीय स्थान पर रहीं। कक्षा पांच तक के प्रतिभागियों में तन्वी सिंघल ने प्रथम, दिव्या सिंघी ने द्वितीय और शिवम खेतान ने तृतीय स्थान हासिल किया। कक्षा आठ तक के वर्ग में माधवी तापडिया प्रथम रहीं। रितिका लखानी ने द्वितीय और सृष्टि मोरे ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।
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