विक्रेता सस्ते चाइनीज रंगों से ग्राहकों को आकर्षित कर रहे
रंगों के पर्व पर औद्योगिक इकाइयों में जमकर होली खेली जाती है। धुलंडी से पूर्व करोड़ों रुपयों के कलर बिक जाते हैं। इस बार माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्कूलों की परीक्षाओं के कारण होली का रंग थोड़ा फीका है। व्यापारियों ने दुकानों के सामने अतिरिक्त स्टॉल लगाकर ग्राहकों को लुभाना शुरू कर दिया है। विक्रेता सस्ते चाइनीज रंगों से ग्राहकों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। होली आते ही ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी पर बाहर गए आदिवासी अपने घर लौट आए हंैं। आदिवासी गांवों में एकादशी से रंगोत्सव की शुरुआत हो जाती है। सप्ताहभर पहले ग्रामीण बच्चे, महिलाएं व युवा फागोत्सव के रंग में डूबने लगते हैं। गुलाल और रंगों से होली का हुल्लड़ परवान चढ़ जाता है। व्यापारी कांतिलाल माली ने बताया कि रंग और पिचकारियां मुंबई, वलसाड और सूरत से मंगाई गई हैं। गत वर्ष की अपेक्षा रंग 20 से 30 प्रतिशत महंगे हो गए हैं। परीक्षाओं के कारण रंगों की बिक्री कम है। ग्राहकों को लुभाने के लिए बंदूक, हेलीकॉफ्टर, गुडिय़ा, जानवरों के रूप वाली पिचकारियां विभिन्न रंगों में उपलब्ध हैं।
रंगों के पर्व पर औद्योगिक इकाइयों में जमकर होली खेली जाती है। धुलंडी से पूर्व करोड़ों रुपयों के कलर बिक जाते हैं। इस बार माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्कूलों की परीक्षाओं के कारण होली का रंग थोड़ा फीका है। व्यापारियों ने दुकानों के सामने अतिरिक्त स्टॉल लगाकर ग्राहकों को लुभाना शुरू कर दिया है। विक्रेता सस्ते चाइनीज रंगों से ग्राहकों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। होली आते ही ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी पर बाहर गए आदिवासी अपने घर लौट आए हंैं। आदिवासी गांवों में एकादशी से रंगोत्सव की शुरुआत हो जाती है। सप्ताहभर पहले ग्रामीण बच्चे, महिलाएं व युवा फागोत्सव के रंग में डूबने लगते हैं। गुलाल और रंगों से होली का हुल्लड़ परवान चढ़ जाता है। व्यापारी कांतिलाल माली ने बताया कि रंग और पिचकारियां मुंबई, वलसाड और सूरत से मंगाई गई हैं। गत वर्ष की अपेक्षा रंग 20 से 30 प्रतिशत महंगे हो गए हैं। परीक्षाओं के कारण रंगों की बिक्री कम है। ग्राहकों को लुभाने के लिए बंदूक, हेलीकॉफ्टर, गुडिय़ा, जानवरों के रूप वाली पिचकारियां विभिन्न रंगों में उपलब्ध हैं।