scriptपिचकारियों एवं रंगों से सजे बाजार | Colored market | Patrika News

पिचकारियों एवं रंगों से सजे बाजार

locationसूरतPublished: Mar 17, 2019 07:32:33 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

धुलंडी से पूर्व करोड़ों रुपयों के कलर बिक जाते हैंडिजाइनर पिचकारियां आकर्षण का केन्द्र

patrika

रंग-बिरंगे रंगों से सजे बाजार


सिलवासा. फागोत्सव आते ही बाजार पिचकारियों एवं रंग-बिरंगे रंगों से सज गए हैं। होली पर बाजारों में चायनीज आइटम भी आ गए हैं। वापी रोड, आमली, बस्ताफलिया, टोकरखाड़ा में बड़ी संख्या में रंगों की स्टॉल लग गई हैं। दुकानों में हर्बल, कृत्रिम रंगों के साथ चाइनीज कलर उपलब्ध हैं। टॉकिंग कैंट, एंग्रीवाड, स्पाइडरमैन, बेन-10, खरगोश, मेढक, मछली, त्रिशूल, रोबोट, गेंद, किंडर जॉय, छोटा भीम, डोरेमॉन, मोटू-पतलू, नोबिता आदि सैकड़ों डिजाइनों में पिचकारियां छा गई हैं, जो बच्चों को काफी पंसद आ रही हैं। होली पर शहर सहित गांवों में बाजार गुलजार हो गए हैं।
patrika
 

विक्रेता सस्ते चाइनीज रंगों से ग्राहकों को आकर्षित कर रहे
रंगों के पर्व पर औद्योगिक इकाइयों में जमकर होली खेली जाती है। धुलंडी से पूर्व करोड़ों रुपयों के कलर बिक जाते हैं। इस बार माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्कूलों की परीक्षाओं के कारण होली का रंग थोड़ा फीका है। व्यापारियों ने दुकानों के सामने अतिरिक्त स्टॉल लगाकर ग्राहकों को लुभाना शुरू कर दिया है। विक्रेता सस्ते चाइनीज रंगों से ग्राहकों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। होली आते ही ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी पर बाहर गए आदिवासी अपने घर लौट आए हंैं। आदिवासी गांवों में एकादशी से रंगोत्सव की शुरुआत हो जाती है। सप्ताहभर पहले ग्रामीण बच्चे, महिलाएं व युवा फागोत्सव के रंग में डूबने लगते हैं। गुलाल और रंगों से होली का हुल्लड़ परवान चढ़ जाता है। व्यापारी कांतिलाल माली ने बताया कि रंग और पिचकारियां मुंबई, वलसाड और सूरत से मंगाई गई हैं। गत वर्ष की अपेक्षा रंग 20 से 30 प्रतिशत महंगे हो गए हैं। परीक्षाओं के कारण रंगों की बिक्री कम है। ग्राहकों को लुभाने के लिए बंदूक, हेलीकॉफ्टर, गुडिय़ा, जानवरों के रूप वाली पिचकारियां विभिन्न रंगों में उपलब्ध हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो