मध्याह्न भोजन के राशन को लेकर विवाद
विपक्ष ने लगाया राशन वितरण में धांधली का आरोप, समिति ने नकारा

सूरत. नगर प्राथमिक शिक्षण समिति की सोमवार को ऑनलाइन हुई सामान्य सभा में मध्याह्न भोजन के राशन को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगे। विपक्ष ने जहां बच्चों के राशन वितरण में धांधली का आरोप लगाया, समिति ने इसे सिरे से नकार दिया। विपक्ष ने ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था को बंद करने की मांग की।
लॉकडाउन के समय से समिति संचालित स्कूलों में शिक्षण कार्य बंद है। इस दौरान बच्चों के लिए आ रहे मध्याह्न भोजन का सूखा राशन उन्हें वितरित करने के निर्देश राज्य सरकार ने दिए हैं। कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को हर 15 दिनों में 1.8 किलो गेहूं व 1.8 किलो चावल और कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को 2.7 किलो गेहूं व 1.7 किलो चावल दिए जाने हैं।
सामान्य सभा में विपक्ष ने मध्याह्न भोजन के राशन का मुददा उठाते हुए इसमें धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि समिति संचालिता स्कूलों में 1.70 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं और उन्हें नियमित रूप से निर्धारित राशन नहीं दिया जा रहा। समिति में कांग्रेस सदस्य सुरेश सुहिगिया ने सवाल उठाया कि आखिर बच्चों के हिस्से का राशन जा किधर रहा है। समिति प्रमुख हसमुख पटेल ने राशन में धांधली के आरोप को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि बच्चों के अभिभावकों को स्कूल में बुलाकर नियमित रूप से सूखा राशन दिया जा रहा है।
ऑनलाइन शिक्षा के मुददे पर उन्होंने कहा कि अधिकांश परिवारों के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं, शिक्षक कोरोना के कामों में लगे हैं और अभिभावकों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा को बंद कर पहले सत्र को स्थगित रख दूसरे सत्र से नियमित शिक्षण शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा में इंटरनेट कनेक्टिविटी भी बड़ी समस्या है, जिसे समझने की जरूरत है।
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