मनपा प्रशासन मगदल्ला के समीप तापी नदी पर एक और बैराज बनाने जा रहा है। यहां पहले बैलून बैराज बनाने का मन बनाया था। विशेषज्ञों की नकारात्म रिपोर्ट के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। लंबे अरसे बाद एक बार फिर इस जगह बैराज बनाने का मामला गरमाया तो मनपा प्रशासन ने कन्वेंशनल बैराज की संभावनाएं तलाशीं। इसके लिए एजेंसी को रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया। एजेंसी ने कन्वेंशनल बैराज के लिए अपनी रिपोर्ट तैयार करते हुए चार विकल्पों पर काम शुरू किया।
एजेंसी के प्रतिनिधियों ने मनपा आयुक्त एम थेन्नारसन और स्थाई समिति प्रमुख अनिल गोपलाणी समेत समिति सदस्यों और मनपा के शीर्ष अधिकारियों के समक्ष शुक्रवार को स्थाई समिति में प्रजेंटेशन दिया। प्रजेंटेशन के दौरान एजेंसी के प्रतिनिधियों ने सभी चारों विकल्पों को सामने रखते हुए उसके फायदे और नुकसान बताए। चर्चा के दौरान समिति सदस्यों और अधिकारियों ने बैराज बनने के बाद नदी मेंं बाढ़ की स्थिति से निपटने के उपायों पर बात की और समुद्र की भरती के दौरान खड़ी होने वाली समस्या पर माथापच्ची की।
बैराज बनने से उमरा और पाल-भाटा क्षेत्र को होने वाले नफे-नुकसान पर भी चर्चा की गई। बैराज की जगह को समुद्र की ओर मगदल्ला पुल के समीप ले जाने के नए विकल्प पर भी चर्चा हुई और विभिन्न विकल्पों पर खर्च में होने वाले वैरियेशन पर भी अधिकारियों और पदाधिकारियों ने सवाल किए।
बैठक में समिति के एजेंडे पर भी चर्चा की गई। एजेंडे में शामिल मृतक आश्रित शेतल सूर्यकांत भगत को नौकरी पर रखने के प्रस्ताव को चर्चा के बाद दफ्तर कर दिया गया। स्थाई समिति प्रमुख अनिल गोपलाणी ने बताया कि इस प्रस्ताव पर लीगल ओपीनियन मांगी गई थी। इसमें स्पष्टता के अभाव के कारण प्रस्ताव को दफ्तर कर दिया गया। एजेंडे में शामिल अन्य प्रस्तावों को मंजूर कर लिया गया।