जिले में धारा 144 व रात को curfew
जिले में धारा 144 व रात को कफ्र्यू (curfew) लगने से प्रवासी मजदूरों का पलायन बढ़ गया है। ये सभी अपने अपने गांव जाने के लिए बस और रेल टिकटों के लिए चक्कर काटते दिखाई दे रहे हैं। कई निजी बसों से गांव जा रहे हैं। इस भीड़ में खास कर दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों की तादाद ज्यादा है। इन्हें डर है कि अगर जिला प्रशासन ने अधिक सख्ती की तो इनके हाथों से काम चला जाएगा और फिर इनके परिवार का पेट भरना मुश्किल हो जाएगा। इनमें कई लोगों के हाथों से रोजगार जाना शुरू हो चुका है। जिले से उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा मूल के अप्रवासी श्रमिको का लौटना जारी है। इनमें ज्यादातर कोरोना की वजह से काम-धंधा नहीं मिलने और लॉकडाउन के खौफ से वापस घर जा रहे हैं।
जिले में धारा 144 व रात को कफ्र्यू (curfew) लगने से प्रवासी मजदूरों का पलायन बढ़ गया है। ये सभी अपने अपने गांव जाने के लिए बस और रेल टिकटों के लिए चक्कर काटते दिखाई दे रहे हैं। कई निजी बसों से गांव जा रहे हैं। इस भीड़ में खास कर दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों की तादाद ज्यादा है। इन्हें डर है कि अगर जिला प्रशासन ने अधिक सख्ती की तो इनके हाथों से काम चला जाएगा और फिर इनके परिवार का पेट भरना मुश्किल हो जाएगा। इनमें कई लोगों के हाथों से रोजगार जाना शुरू हो चुका है। जिले से उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा मूल के अप्रवासी श्रमिको का लौटना जारी है। इनमें ज्यादातर कोरोना की वजह से काम-धंधा नहीं मिलने और लॉकडाउन के खौफ से वापस घर जा रहे हैं।
जानकारों का कहना
जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में परप्रांतीय मजदूरों की भीड़ और ज्यादा बढ़ सकती हैं। उद्योग और प्रशासन की ओर से लगातार अपील की जा रही है कि उद्योगपति उनके साथ हैं और मजदूरों को खाने-पीने, रहने के तमाम इंतजाम किए जाएंगे। पिछले लॉकडाउन में भयंकर कष्ट और पीड़ा झेल चुके मजदूर वर्ग पर इन आश्वासनों और अपीलों का कोई असर नहीं है। क्षेत्र के कारखानों, उद्योगों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के उद्योगधंधों पर एक बार फिर बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। औद्योगिक घराने इस बात को अच्छी तरह समझ रहे हैं और यहीं वजह है कि इसके लिए जरूरी सारी एहतियात और इंतजाम करने की कोशिश की जा रही है। प्रशासन ने ऐलान कर दिया है कि उद्योग धंधे और कारखानों पर कोई गाज नहीं गिरेगी। कोरोना नियमों का पालन करते हुए औद्योगिक कामकाज चालू रहेंगे।
जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में परप्रांतीय मजदूरों की भीड़ और ज्यादा बढ़ सकती हैं। उद्योग और प्रशासन की ओर से लगातार अपील की जा रही है कि उद्योगपति उनके साथ हैं और मजदूरों को खाने-पीने, रहने के तमाम इंतजाम किए जाएंगे। पिछले लॉकडाउन में भयंकर कष्ट और पीड़ा झेल चुके मजदूर वर्ग पर इन आश्वासनों और अपीलों का कोई असर नहीं है। क्षेत्र के कारखानों, उद्योगों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के उद्योगधंधों पर एक बार फिर बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। औद्योगिक घराने इस बात को अच्छी तरह समझ रहे हैं और यहीं वजह है कि इसके लिए जरूरी सारी एहतियात और इंतजाम करने की कोशिश की जा रही है। प्रशासन ने ऐलान कर दिया है कि उद्योग धंधे और कारखानों पर कोई गाज नहीं गिरेगी। कोरोना नियमों का पालन करते हुए औद्योगिक कामकाज चालू रहेंगे।