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सूरत

कोरोना असर: इस बार भी नहीं होगी महाविद्यालयों में आंतरिक परीक्षा

– असाइनमेंट, एमसीक्यू और उपस्थिति के आधार पर तय होगा विद्यार्थियों का आंतरिक मूल्यांकन

सूरतJul 28, 2021 / 10:31 am

Divyesh Kumar Sondarva

कोरोना असर: इस बार भी नहीं होगी महाविद्यालयों में आंतरिक परीक्षा

कोरोना असर: इस बार भी नहीं होगी महाविद्यालयों में आंतरिक परीक्षा

सूरत.
वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय की पढ़ाई और परीक्षा पर अभी भी कोरोना का असर नजर आ रहा है। एकेडमिक काउंसिल ने इस बार भी महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की आंतरिक परीक्षा नहीं लेने का तय किया है। असाइनमेंट, एमसीक्यू और उपस्थिति के आधार पर विद्यार्थियों का आंतरिक मूल्यांकन तय करना का एकेडमिक काउंसिल ने फैसला किया है।
वीएनएसजीयू के महाविद्यालयों में पिछले शैक्षणिक सत्र में कोरोना के कारण आंतरिक परीक्षाएं नहीं हो पाई थी। विद्यार्थियों की ओनलाइन पढ़ाई की उपस्थिति, असाइनमेंट के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन तय किया गया था। एकेडमिक काउंसिल ने इस बार भी असाइनमेंट, एमसीक्यू और उपस्थिति के आधार पर ही विद्यार्थियों का मूल्यांकन तय करने का निर्णय किया है। यह निर्णय प्रथम सत्र तक लागू होगा। इसमें विद्यार्थियों का असाइनमेंट के 8, एमसीक्यू के 8 और उपस्थिति के 4 अंकों में से मूल्यांकन किया जाएगा। जिस पाठ्यक्रम में 30 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन होगा वहां असाइनमेंट के 12, एमसीक्यू के 12 और उपस्थिति के 6 अंकों में से विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाएगा।
– ऑन डिमांड परीक्षा के लिए समिति का गठन:
सीनेटर कनु भरवाड़ ने ऑन डिमांड परीक्षा पॉलिसी लागू करने के लिए विश्वविद्यालय से गुजारिश की थी। सिंडीकेट में भी इस प्रस्ताव को मंजूर किया गया है। ऑन डिमांड परीक्षा कब, कहां, कैसे और कौन से नियमों के आधार पर ली जाए इसका समय पत्रक क्या होगा इस पर एकेडमिक काउंसिल नें चर्चा की गई। इस संदर्भ में एकेडमिक काउंसिल ने समिति का गठन करने का प्रस्ताव रखा है। समिति गठन का जिम्मा कुलपति को सौंपा गया है।
– विभागाध्यक्ष नियुक्त करने में एक समान नियम
विश्वविद्यालय में 27 से अधिक विभाग है। कई विभागों में विभागाध्यक्ष नहीं है। वहां कार्यकारी विभागाध्यक्ष से काम चलाया जा रहा है। इसलिए सिंडीकेट सदस्य भावेश रबारी ने कुलपति को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि सभी विभागों में विभागाध्यक्ष नियुक्त करने के नियम समान होने चाहिए। जिससे रिक्त पड़े स्थान भरे जा सके। विभागाध्यक्ष की नियुक्ति में कोई ना कोई विवाद होता ही रहता है। एक समान नियम होने पर विवाद से भी बचा जा सकता है।
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