अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इमरजेंसी की स्थिति में कोरोना मरीजों के परिजनों को वापस लौटाने के आश्वासन पर दिए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन अब तक तेरह परिजनों ने लौटा दिए हैं। जिसके बाद न्यू सिविल अस्पताल ने दो लाख पांच हजार दो सौ रुपए भी वापस किए हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस श्वसनतंत्र और फेफड़े को प्रभावित करता है। इसके इलाज में टोसिलिजुमाब और रेमडेसिविर इंजेक्शन जरूरी होता है, लेकिन शहर के मेडिकल स्टोरों में यह इंजेक्शन आसानी से उपलब्ध नहीं है। कोरोना मरीज के परिजनों को इंजेक्शन के लिए एक मेडिकल स्टोर से दूसरे मेडिकल स्टोर के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
दूसरी तरफ, निजी अस्पतालों में उपचाराधीन मरीजों के परिजन इंजेक्शन खरीदने के लिए न्यू सिविल अस्पताल आ रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार ने सिविल अस्पताल प्रशासन को इंजेक्शन देने से मना किया है। ऐसी स्थिति में सूरत के मरीजों को इलाज में काफी परेशानी हो रही थी। इसे देखते हुए सूरत में कोरोना नोडल ऑफिसर महेन्द्र पटेल के साथ अस्पताल प्रशासन ने आपस में चर्चा के बाद बीच का रास्ता निकाला। इसमें परिजनों को रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार कीमत से छह सौ रुपए अधिक लेकर देने की व्यवस्था की गई। साथ ही मरीज से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं कि वह इंजेक्शन लौटाने आएंगे। तभी उसके परिजनों को पहले लिए गए रुपए भी लौटा दिए जाएंगे, लेकिन कुछ दिनों से शहरवासियों में एमआरपी से अधिक रुपए लेकर इंजेक्शन देने को लेकर असमंजस की स्थिति हो गई है।
अस्पताल के आरएमओ डॉ. केतन नायक ने बताया कि पिछले दिनों न्यू सिविल अस्पताल से इंजेक्शन लेकर गए 13 परिजनों को दो लाख पांच हजार 200 रुपए लौटाए गए हैं। मरीज के परिजनों के लिए गए कुल 38 इंजेक्शन अस्पताल में जमा करवाने पर पहले दिए डिपोजिट को चेक या आरटीजीएस से उनके खाते में जमा करवा दिए गए हैं। सरकार की ओर से इंजेक्शन देने की मनाही के कारण शहरवासियों को इंजेक्शन के लिए भटकना न पड़े, इसलिए यह अस्थाई व्यवस्था की गई है। अब शहर के मेडिकल स्टोरों में इंजेक्शन मिलने लगे हैं। इसलिए अब परिजन भी इंजेक्शन लौटाने के लिए अस्पताल आने लगे हैं।