भरुच जिला निवासी महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी 17 साल की और सात महीने की गर्भवती पुत्री का गर्भपात करने के लिए मेडिकल टर्मीनेन्स प्रेगनेन्सी एक्ट, 1971 की धाराओं के तहत कोर्ट से मंजूरी मांगी थी। याचिका में महिला ने बताया था कि पुत्री के बीमार होने पर जब वह उसे अस्पताल ले गई तो जांच में उसके सात महीने की गर्भवती होने का पता चला था। पुत्री से पूछताछ करने पर उसने बताया कि अक्षय नाम के युवक ने उससे जबरदस्ती यौन संबंध बनाए थे और उसी से वह गर्भवती हुई है। इस संदर्भ में महिला ने आरोपी के खिलाफ कोसंबा थाने में बलात्कार और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत शिकायत भी दर्ज करवाई है। आरोपी ने किए बलात्कार के कारण पुत्री गर्भवती हुई है और वह इस गर्भ को रखना नहीं चाहती। यदि बच्चे का जन्म भी होता है तो उसका भविष्य नहीं होगा। कोर्ट की ओर से गर्भपात को लेकर न्यू सिविल अस्पताल के चिकित्सकों की पैनल से अभिप्राय मांगा गया था। पैनल ने अपने अभिप्रया में बताया कि किशोरी को 30 से 32 सप्ताह यानी आठ महीने का गर्भ है। यदि गर्भपात करने की मंजूरी दी जाती है तो किशोरी की जान के लिए जोखिम खड़ा हो सकता है। याचिका पर अंतिम सुनवाई के बाद चिकित्सकों के अभिप्राय को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने याचिका नामंजूर कर दी।