मनपा प्रशासन ने जिन साझे की साइकिलों को सडक़ पर उतारा है, उनमें जीपीएस सिस्टम लगा है। यह सिस्टम साइकिलों की सुरक्षा के लिए लगाया गया था, लेकिन इसके अध्ययन से साइकिलों के इस्तेमाल का अलग ही पैटर्न देखने को मिला है। अधिकारियों के मुताबिक जीपीएस से जो फीडबैक मिल रहा है, उसमें पार्ले प्वॉइंट, लेक व्यू गार्डन पीपलोद और वाल सिटी समेत कई इलाकों में सुबह और शाम साइकिलें ली जाती हैं। आम दिनों में इन साइकिलों को लोग तफरीह के लिए लेकर जाते हैं और तय समयांतराल में वापस जमा कर देते हैं। रविवार के दिन या अवकाश वाले दिनों में इन्हीं डॉकिंग स्टेशनों पर साइकिलिंग का पैटर्न एकदम उलट जाता है।
इन दिनों में सुबह और शाम साइकिलें डॉकिंग स्टेशनों से कम ही बाहर निकलती हैं। छुट्टी वाले दिन लोग दिन में साइकिलों को लेकर निकलते हैं। यह साइकिलें अपने एरिया से बाहर निकलकर दूसरे जोन में लंबी दूरी तय करती हैं। अधिकारियों के मुताबिक अवकाश के दिनों में लोग रिश्तेदारों से मिलने-जुलने जाने के लिए या दोस्तों के साथ वक्त बिताने के लिए साइकिलों पर जाना बेहतर समझते हैं। इसकी एक वजह दूसरे संसाधनों से जाने में लगने वाला व्यय भी हो सकती है। साइकिल लेकर जाने में यह खर्च बहुत हद तक कम हो जाता है।
तीन डॉकिंग स्टेशनों पर रहता है दबाव आम दिनों में कार्यसमय के दौरान भी लोग साइकिलें लेकर जा रहे हैं। मजूरा गेट, सबजेल और उधना दरवाजा के डॉकिंग स्टेशनों पर यह दबाव ज्यादा देखने को मिल रहा है। इन स्टेशनों से सबसे ज्यादा साइकिलें कार्यसमय के दौरान ही बाहर निकल रही हैं। माना जा रहा है कि लोग सार्वजनिक परिवहन या अपने वाहनों से यहां तक आते हैं और फिर साइकिलें लेकर काम निपटाने के लिए निकल जाते हैं। तफरीह के लिए निकलने वाली साइकिलों का सबसे ज्यादा दबाव पार्ले प्वॉइंट या पीपलोद के लेकव्यू गार्डन के डॉकिंग स्टेशनों पर देखने को मिल रहा है।
छोटा हाथी ले जाता है साइकिलें अवकाश के दिनों में एक ही डॉकिंग स्टेशन पर साइकिलों का जमघट लग जाता है और दूसरे स्टेशन सूने पड़े रहते हैं। इससे निपटने के लिए मनपा प्रशासन ने साइकिलों के स्थलांतरण की व्यवस्था की है। जब भी किसी स्टेशन पर साइकिलों का दबाव बढ़ता है, छोटा हाथी वाहन साइकिलों को दूसरे स्टेशन पर शिफ्ट कर देता है।