दादरा नगर हवेली के इतिहास में संसदीय उपचुनाव पहली बार हो रहे हैं। आगामी चुनाव में विजयी उम्मीदवार को लगभग दो-ढाई वर्ष सत्ता का फायदा मिल सकेगा। दूसरी और थ्रीडी प्रदेश में प्रफुल्ल पटेल ने प्रशासक का कार्यभार जब से संभाला है, तब से राजनेताओं की मनमानी बंद हो गई हैें। प्रशासनिक सख्ती से चुनाव में अकसर खड़े होने वाले प्रत्याशी फिलहाल पीछे खिसकते दिखाई दे रहे हैं। बहरहाल, इस सीट पर डेलकर परिवार एवं भाजपा को छोड़कर अन्य किसी दल में प्रत्याशी के लिए कोई अहमियतता नहीं है। इस बार चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या भी सीमित ही रहने के आसार है।