बाढ़ नियंत्रण केन्द्र ने शहर में पिछले 24 घंटे में 110.8 मिमी बारिश रिकार्ड की है। अब तक प्रदेश में कुल 640.5 मिमी बरसात हो चुकी है। डेम में पानी 13738 क्यूसेक की दर से संग्रहित हो रहा है, जिससे डेम का जलस्तर 71.4 मीटर तक पहुंच गया है। फिलहाल डेम के सभी गेट बंद हैं। अधिकारियों के अनुसार डेम में तयशुदा योजना के अनुसार जलभराव हो रहा है। गुरुवार को रुक रुककर तेज बारिश हुई, जिससे सोसायटी एवं बाजारों में जलजमाव हो गया। सब्जी मार्केट में कीचड़ हो जाने से ग्राहकों की दिक्कत बढ़ गई है। पिपरिया अंबेडकर नगर की सड़कें टूट गई हैं। बारिश के कारण शहीद चौक, तहसीलदार कार्यालय एवं बस्ती फलिया में वाहनों की कतारें देखी गई। बस स्टैण्ड परिसर में जलभराव से यात्रियों को काफी परेशानी हुई। बारिश के दौरान दपाड़ा और सिलवासा में पेड़ गिरने की जानकारी मिली है।
ग्रामीण इलाकों में भी अच्छी बारिश
प्रदेश के ग्रामीण विस्तारों में भी मेघ बरस रहे हैं। महाराष्ट्र के सीमावर्ती सिंदोनी, मांदोनी, खेरड़ी में बारिश से साकरतोड़ नदी उफान पर है। दमणगंगा नदी अथाल ब्रिज पर 26.8 मीटर की ऊंचाई तक बहने लगी है। दिन में कई बार मूसलधार बारिश हुई। बारिश के कारण कई लोग घरों में ही रहने को मजबूर हुए। तराई वाले क्षेत्रों में जलभराव की समस्या बढ़ गई है। भुरकुड़ फलिया, पिपरिया अंबेडकर नगर में चाल एवं कच्चे मकानों में पानी रिसने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। खानवेल एवं रूदाना के चेकडेम पानी से भर गए हैं। रखोली, दपाड़ा, सुरंगी और आंबोली ग्राम पंचायत के खेत ताल तलैया में बदल गए हैं। बारिश से पहाड़ी क्षेत्रों में बने सीढ़ीनुमा खेतों में धान एवं नागली की खेती आसानी से हो जाती है। यहां मानसून में औसत 2500 मिमी वर्षा होती है।
प्रदेश के ग्रामीण विस्तारों में भी मेघ बरस रहे हैं। महाराष्ट्र के सीमावर्ती सिंदोनी, मांदोनी, खेरड़ी में बारिश से साकरतोड़ नदी उफान पर है। दमणगंगा नदी अथाल ब्रिज पर 26.8 मीटर की ऊंचाई तक बहने लगी है। दिन में कई बार मूसलधार बारिश हुई। बारिश के कारण कई लोग घरों में ही रहने को मजबूर हुए। तराई वाले क्षेत्रों में जलभराव की समस्या बढ़ गई है। भुरकुड़ फलिया, पिपरिया अंबेडकर नगर में चाल एवं कच्चे मकानों में पानी रिसने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। खानवेल एवं रूदाना के चेकडेम पानी से भर गए हैं। रखोली, दपाड़ा, सुरंगी और आंबोली ग्राम पंचायत के खेत ताल तलैया में बदल गए हैं। बारिश से पहाड़ी क्षेत्रों में बने सीढ़ीनुमा खेतों में धान एवं नागली की खेती आसानी से हो जाती है। यहां मानसून में औसत 2500 मिमी वर्षा होती है।