संघ प्रदेश दमण-दीव एवं दानह में भाजपा ने मनाई उपाध्याय की जयंतीआरएसएस के प्रथम महासचिव नियुक्त हुए थे दीनदयाल राजनीति के साथ साहित्य व काव्य में भी अमिट छाप थी
सिलवासा. भाजपा अटल कार्यालय पर पार्टी पदाधिकारियों ने भारतीय जनसंघ के प्रथम महासचिव पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई एवं उनके आदर्शों पर चलने का प्रण लिया। सवेरे 11 बजे प्रदेश अध्यक्ष हंसमुख भंडारी, कोषाध्यक्ष विरेन्द्र राजपुरोहित, पार्टी महिला पदाधिकारी, विभिन्न कमेटियों के पदाधिकारी एकत्रित हुए एवं उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए हंसमुख भंडारी ने कहा कि उनका जन्म 25 सितम्बर 1916 उत्तरप्रदेश के नगला चंद्रभान नामक गांव में हुआ था। उन्होंने हाईस्कूल शिक्षा राजस्थान के सीकर से प्राप्त की। इंटरमीडियट की परीक्षा पिलानी से पास कर बीए करने के लिए कानपुर आ गए। वे 1937 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सम्मिलित हो गए। 1939 में उन्होंने प्रथम श्रेणी में बीए किया। जब वर्ष 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, तब दीनदयाल उपाध्याय प्रथम महासचिव नियुक्त हुए। साल 1953 में मुखर्जी के असमय निधन के बाद पूरे संगठन की जिम्मेदारी उपाध्याय के कंधों पर आ गई। भारतीय जनसंघ में महासचिव रहते हुए 15 वर्षों तक सेवा की और 1967 में उन्हें जनसंघ के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। अध्यक्ष रहते हुए वे जनता में काफी लोकप्रिय हो गए थे। इसी बीच 11 फरवरी 1968 में रहस्यमय तरीके से उपाध्याय की मौत हो गई। उनका शव मुगलसराय रेलवे यार्ड में मिली थी। विरेन्द्र राजपुरोहित ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय भारत माता के महान सपूत थे। उनकी राजनीति के साथ साहित्य व काव्य में भी अमिट छाप थी। उपाध्याय हर देशवासियों से प्यार करते थे। वे विलक्षण नेतृत्व, दूरदर्शिता और देशभक्ति से आतप्रोत के कारण अपने समय में देश के हर नागरिकों के दिलों में बसे रहे। अन्य नेताओं ने भी पंडित उपाध्याय की जीवनी का बखान किया।