सूरत

राजस्थान, यूपी-बिहार, दिल्ली रूट पर और गाडिय़ां चलाने की मांग

सूरत एशिया का सबसे बड़ा टैक्सटाइल हब और हीरा कारोबार का वल्र्ड क्लास बिजनेस केन्द्र है, लेकिन सूरत रेलवे स्टेशन अब तक वल्र्ड क्लास नहीं बन सका है।

सूरतJan 31, 2018 / 10:31 pm

मुकेश शर्मा

Demand for running more trains on Rajasthan, UP-Bihar, Delhi route

सूरत।सूरत एशिया का सबसे बड़ा टैक्सटाइल हब और हीरा कारोबार का वल्र्ड क्लास बिजनेस केन्द्र है, लेकिन सूरत रेलवे स्टेशन अब तक वल्र्ड क्लास नहीं बन सका है। यहां यात्रियों को मूलभूत सुविधाओं के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है। रेल बजट से सूरत समेत दक्षिण गुजरात के लोगों को नई ट्रेन, रेग्यूलर ट्रेनों के स्टॉपेज और फेरे बढऩे की आस है।

यूपीए सरकार ने सूरत को वल्र्ड क्लास स्टेशन बनाने की घोषणा की थी, जो अब तक कागजों पर है। भाजपा सरकार ने गुजरात और सूरत पर ध्यान केन्द्रित करते हुए मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशन हब (एमएमटीएच) प्रोजेक्ट तैयार किया। इस पर भी अब तक कार्य शुरू नहीं हो सका है। सूरत स्टेशन पर चार प्लेटफॉर्म हैं। सुमुल डेयरी रोड की खाली जगह पर नया प्लेटफॉर्म बनाने की आवश्यकता है। यहां से अहमदाबाद तथा सौराष्ट्र की ओर जाने वाली ट्रेनों को चलाया जा सकता है। सुमुल डेयरी रोड, कतारगाम, अमरोली, लाल दरवाजा तथा कोट विस्तार में रहने वाले ज्यादातर लोग उत्तर और मध्य गुजरात के निवासी हैं। सुमुल डेयरी रोड पर झोपड़पट्टी हटाकर नए प्लेटफॉर्म का निर्माण किया जा सकता है। दिल्ली गेट के पास रेलवे गोदी को उधना शिफ्ट करने की तैयारी है।

रेलवे गोदी की जगह लम्बी दूरी की ट्रेनों के मेंटेनेंस का कार्य करने के लिए अलग से वर्कशॉप तैयार की जा सकती है। रेल बजट में लगातार दो-तीन साल से नई ट्रेनों की घोषणा नहीं किए जाने से आम लोग संशय में हैं। इस बार रेल बजट में सूरत से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और नई दिल्ली के लिए नई गाडिय़ां शुरू किए जाने की मांग है। ऐसे होने पर सूरत में रहने वाले १२ लाख से अधिक प्रवासियों को लाभ मिलेगा।

साप्ताहिक ट्रेनों के फेरे बढऩे चाहिए

सूरत से उत्तर भारत की ओर जाने वाली ताप्ती गंगा एक्सप्रेस, सूरत-भागलपुर एक्सप्रेस, वलसाड-मुजफ्फरपुर श्रमिक एक्सप्रेस, बान्द्रा-गोरखपुर/मुजफ्फरपुर अवध एक्सप्रेस, उधना-वाराणसी भोलेनगरी और सूरत-मुजफ्फरपुर के फेरे बढ़ाने की मांग की जा रही है। यह सभी ट्रेन साप्ताहिक हैं। इन ट्रेनों के फेरे सप्ताह में दो से तीन दिन बढ़ाए जाने की मांग है। बान्द्रा-अजमेर/उदयपुर एक्सप्रेस और बान्द्रा-उदयपुर एक्सप्रेस के फेरे तीन दिन से बढ़ाकर पांच/छह दिन किए जाने की मांग है। सूरत-पुरी एक्सप्रेस सप्ताह में एक दिन मंगलवार को चलाई जाती है। इस ट्रेन के फेरे भी एक दिन से बढ़ाकर तीन दिन करने की मांग है। सूरत-अमरावती पैसेंजर, सूरत-महुआ साप्ताहिक ट्रेन के फेरे बढ़ाने की भी मांग की जा रही है।

सम्पर्क क्रांति और दुरंतो का सूरत में ठहराव

रेल मंत्रालय यात्री सेवा समिति के सदस्य राकेश शाह ने बताया कि मुम्बई से अहमदाबाद, मुम्बई से जयपुर , मुम्बई से दिल्ली के बीच चलने वाली दुरंतो एक्सप्रेस का ठहराव सूरत में नहीं है। यह ट्रेन सूरत स्टेशन पर कुछ मिनट ठहरती हैं। उस समय पैन्ट्रीकार में खाद्य सामग्री चढ़ाई जाती है। इन ट्रेनों को सूरत में कॉमर्शियल हॉल्ट देने की मांग लम्बे समय से की जा रही है। नई दिल्ली-त्रिवेन्द्रम राजधानी एक्सप्रेस को भी सूरत स्टेशन पर ठहराव दिया जाना चाहिए। कोच्चि सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस, गोवा-दिल्ली सम्पर्क क्रांति और महाराष्ट्र सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस को भी ठहराव देने की मांग हो रही है।

वॉशिंग लाइन में घटा ट्रैफिक

सूत्रों ने बताया कि पश्चिम रेलवे ने 11 सितम्बर, २०१७ से कुछ पैसेंजर ट्रेनों को मेमू ट्रेन में परिवर्तित कर चलाने की व्यवस्था की। इस निर्णय के बाद सूरत से विरार, भरुच और नंदुरबार की ओर जाने वाली तीन टे्रनों का सूरत वाशिंग यार्ड में रख-रखाव का कार्य कम हुआ है। पहले ट्रैफिक अधिक होने के कारण सूरत से ट्रेन चलाना मुमकिन नहीं था। रेल अधिकारियों ने बताया कि अब सूरत वॉशिंग यार्ड में जगह रिक्त होने के कारण प्रतिदिन तीन ट्रेन या फिर एक सप्ताह में 21 साप्ताहिक ट्रेन चलाई जा सकती हैं। सूरत से शुरू होने वाली या गुजरने वाली ट्रेनों में यात्रियों की संख्या अधिक होती है। खास तौर से उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली ट्रेनों में बहुत ज्यादा ट्रैफिक होता है।

कोच में लगाए जाएं सीसीटीवी

ट्रेनों में महिलाओं की सुरक्षा मुख्य मुद्दा है। छोटी दूरी की ट्रेनों में सफर करने वाली महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोच में जवान तैनात करने की घोषणा जा चुकी है, लेकिन पैसेंजर और मेमू ट्रेनों में ऐसी कोई सुविधा नहीं है। नौकरी या पढ़ाई के लिए घर से अकेले निकलने वाली महिलाओं को सफर में कोई परेशानी न हो, इसके लिए रेलवे को ठोस कदम उठाने चाहिए। प्रत्येक ट्रेन में दो महिला कोच की व्यवस्था की जानी चाहिए। महिला कोच में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर भी कार्य नहीं हुआ है। पश्चिम रेलवे को सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए निर्भया फंड से आवंटन देने की मांग की गई है।

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