यूरोपियन देशों से फ्री टेड एग्रीमेन्ट की दिशा में आगे बढऩे की मांग
सूरत नेशनल टैक्सटाइल पॉलिसी में किन बातों को शामिल करना चाहिए, इस सिलसिले में चर्चा करने के लिए चैम्बर ऑफ कॉमर्स की ओर से सोमवार को सूरत के तमाम वीविंग संंगठनों की मीटिंग बुलाई गई थी। मीटिंग में कपड़ा उद्यमियों ने विदेश व्यापार में आने वाली दिक्कत, बैंक लोन लेने में होने वाली असुविधा, विदेश से आयातित कपड़ों से हो रही दिक्कत , फ्री ट्रेड एग्रीमेन्ट और इनडायरेक्ट टैक्सेसन सहित कई मुद्दो पर सुझाव दिए। कपड़ा उद्यमियों का कहना था कि सूरत सहित देश के कपड़ा उद्योग को निर्यात की दिशा में आगे बढऩे के लिए यूरोप के देशों में निर्यात करना आवश्यक है। हम वहां फ्री निर्यात कर सकें इसलिए यूरोपियन देशों से फ्री ट्रेड एग्रीमेन्ट करने की मांग की है। अन्य देशों से आयात होने वाले गारमेन्ट के कपड़ों पर नॉन टेरिफ एरियर ड़ालने का सुझाव दिया। कई क पड़ा उद्यमियों ने कहा कि फायनांस और बैंकिंग सेक्टर से लोन लेते समय मोर्गेड डीड के समय स्टैम्प ड्यूटी की बड़ी रकम चुकानी पड़ती है इस सिलसिले में राज्य सरकार से गुहार लगानी चाहिए। फोरेन एक्सचेन्ज में बार-बार उतार- चढाव के कारण भी आयातकारों को नुकसान होता है। इसलिए हैजिंग की पॉलिसी तय करने की बात कही। इसके अलावा कपड़ा उद्यमियों ने राज्य सरकार की टैक्सटाइल पॉलिसी के बारे में बताया कि राज्य सरकार की टैक्सटाइल पॉलिसी में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में टेरिफ में छूट देने की बात कही गई है इसे लंबा समय हो गया है, लेकिन अभी तक जितनी छूट मिलनी चाहिए थी उतनी छूट नहीं मिल सकी है।उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले ही फैडरेशन ऑफ गुजरात वीवर्स एसोसिएशन ने चैम्बर ऑफ कॉमर्स पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि चैम्बर कपड़ा उद्योग की मांग करते समय कपड़ा संगठनों को साथ में नहीं रखता है। इसके दो दिन बाद ही चैम्बर ऑफ कॉमर्स की ओर से मीटिंग बुलाई गई।