सूरत

Women’s Day Special: आदिवासी महिलाओं तक नहीं पहुंचा विकास

महिला दिवस विशेष स्टोरीअधिकांश गांवों में पक्के मकान, पौष्टिक खाना, कुटीर उद्योग, आर्थिक संसाधनों की कमी महिलाओं को न्यूनतम वेतन भी नसीब नहीं
Women’s Day Special StoryPucca houses, nutritious food, cottage industries, lack of economic resources in most villagesWomen do not even have minimum wages

सूरतMar 07, 2020 / 06:23 pm

Sunil Mishra

आदिवासी महिलाएं

सिलवासा. केंद्र सरकार द्वारा संचालित तमाम योजनाओं के बाद पिछड़े गांवों में आदिवासी महिलाएं विकास से कोसों दूर हैं। सिंदोनी, मांदोनी, रूदाना, दुधनी, कौंचा, आंबोली ग्राम पंचायत के अधिकांश गांवों में महिलाएं कठिन परिश्रम करके जीवन संघर्ष कर रही हैं। खानवेल उपजिला के अधिकांश गांवों में पक्के मकान, पौष्टिक खाना, कुटीर उद्योग, आर्थिक संसाधनों की कमी हैं।
दादरा नगर हवेली के रूदाना, सिंदोनी, मांदोनी, कौंचा, आंबोली, खेरड़ी, सुरंगी, दपाड़ा ग्राम पंचायत में सिंचाई योजनाओं के अभाव से खेती, पशुपालन का अभाव है। यहां 3 हजार से अधिक इकाइयां होने के बावजूद युवा पीढ़ी को रोजगार नहीं मिल रहा है।
https://www.patrika.com/jaipur-news/every-woman-can-become-tribal-quot-tipu-quot-402966/

महिलाओं को न्यूनतम वेतन भी नसीब नहीं

रोजगार के लिए महिलाएं उद्योगपति, धनाढ्य सेठ, भूपति, खेती-बाड़ी व लेबर कॉट्रेक्टरों के आगे हाथ फैला रही हैं। सरकारी नौकरी करने वाली महिलाओं को अंडर रूल 43 ऑफ द सेंट्रल सिविल सर्विस रूल्स 1972 के तहत 180 दिन का प्रसूति अवकाश मिलता है, जबकि प्राइवेट सेक्टर व लेबर ठेकेदारों के पास महिलाओं को न्यूनतम वेतन भी नसीब नहीं है।
लेबर ठेकेदार प्रसूति के दौरान महिलाओं को अवकाश का वेतन नहीं देते। इमारत, पुल, सड़क जैसे निर्माण कार्यों में लगी महिलाओं की स्थिति अधिक खराब है। यहां महिलाओं को भारी परिश्रम के बावजूद प्रसूति अवकाश, पेयजल, शौचालय, स्वास्थ्य जैसी बेसिक सुविधाओं से दूर रखा जाता हैं। महिला मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए प्रशासन के पास कोई सक्षम कार्ययोजना नहीं है।

शराब ने बिगाड़े हालात
दादरा नगर हवेली में सरकारी शराब में छूट से गांव-गांव शराब के अड्डे खुलने से लोग अपनी कमाई शराब पीने में गंवा देते हैं। शराब के कारण सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। कई युवतियां भरी जवानी में विधवा हो जाती हैं। आदिवासी समाज उत्कर्ष संघ ने हाल में शराब बंदी के लिए आवाज उठाई है। उन्होंने सरकार से निर्णय का इंतजार है।

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