भरुच में तीन स्थानों पर बनाए गए कृत्रिम कुंडों में लोगों ने दोपहर बाद से प्रतिमाओं का विसर्जन करना शुरू कर दिया। बड़ी प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए भाड़भूत ले जाया गया, जहां रविवार रात समुद्र की भरती आने के बाद प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा। ३२ वर्षों से नर्मदा नदी में विसर्जन की चली आ रही परंपरा इस बार टूट गई जिसका अफसोस लोगों को भी हुआ, लेकिन प्रशासन की ओर से निर्धारित किए गए स्थानों पर ही विघ्नहर्ता को विदाई दी।
भरुच शहर व अंकलेश्वर सहित विभिन्न स्थानों पर प्रतिमाओं का विसर्जन कृत्रिम कुंड में किया गया। सुबह पूजा पाठ और हवन के बाद प्रतिमाओं को डीजे के साथ विसर्जन स्थलों पर लाया गया। रंग गुलाल उड़ाते भक्त डीजे की ताल पर नृत्य करते हुए प्रतिमाओं क ो लेकर जाते रहे। शहर में कई स्थानों पर सामाजिक संस्थाओं की ओर से भक्तों के लिए छाछ, शर्बत व पानी की व्यवस्था की गई थी।
अंकलेश्वर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गणपति विसर्जन यात्रा में भक्तो को छाछ वितरण किया। भाड़भूत में दोपहर को विसर्जन स्थल का निरीक्षण वागरा विधायक अरुण सिंह रना ने किया। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किया। भाड़भूत में प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए शाम के बाद ले जाया जाता रहा। समाचार लिखे जाने तक प्रतिमाओं का विर्सजन भाड़भूत में शांतिपूर्ण रूप से किया जा रहा था। अन्य स्थानों पर भी विसर्जन पूरी तरह से शांतिपूर्वक रहा। कहीं से किसी अप्रिय वारदात का समाचार नहीं मिला।
नर्मदा नदी में इस बार सिर्फ मिट्टी से बनी ईको फ्रेंडली प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। नर्मदा नदी में अंकलेश्वर की ओर से मिट्टी की प्रतिमा विसर्जित की गई। अंकलेश्वर में इएसआइसी अस्पताल के बगल में दो और पानोली में एक कुंड बनाया गया था, जहां प्रतिमाओं का धूमधाम के साथ लोगो ने विसर्जन किया। इएसआइसी ईको कुंड में ४०० प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। पानोली में २६ प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। विसर्जन के समय अंकलेश्वर व पानोली में ४०० से ज्यादा पुलिस के जवानों के साथ चार स्पेशल पावर के साथ एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई थी।