सूरत

यूं ही नहीं मिली थी मुक्ति, वीरों को किया याद

दादरा का मुक्ति दिवस मनाया

सूरतJul 22, 2019 / 08:04 pm

Dinesh Bhardwaj

यूं ही नहीं मिली थी मुक्ति, वीरों को किया याद

सिलवासा. दादरा शहीद स्मारक पर सोमवार को पुष्पांजलि अर्पित कर मुक्ति दिवस मनाया गया। इस मौके पर सरपंच सुमित्रा पटेल, जिला पंचायत सदस्य भारती हलपति, ग्राम पंचायत सदस्य जशोदा हलपति, दर्शना देसाई, उर्मिला रोहित, कमलेश देसाई, जितेन्द्रकुमार पटेल, अमृत पटेल, गौरवकुमार वासुदेव, विनोद पटेल, अजीत पटेल, भानु पटेल, निकिता रोहित समेत अन्य लोग मौजूद थे। पंचायत कार्यालय के बाहर शहीद स्मारक पर पुष्पंजालि के बाद कमलेश पटेल ने बताया कि पुर्तगालियों ने दादरा को 22 जुलाई 1954 को आजाद कर दिया था, लेकिन अगले 10 दिन याने 2 अगस्त 1954 तक नगर हवेली पर जमे रहे। इतिहास में दादरा एवं नगर हवेली का उद्भव 17 दिसम्बर 1779 को हुआ था, जब पुर्तगीजो ने मराठों से राज्य बंटवारे को लेकर विभिन्न समझौते किए। मुगलकाल के दौरान मराठों ने मित्रता के तौर पर 72 गांव पुर्तगीजों को सौपे थे। धीरे-धीरे पुर्तगीजों ने दादरा एवं नगर हवेली को अपनी बपौती मान लिया एवं पूरी तरह कब्जा जमा लिया। 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजो से स्वतंत्रता मिलने के बाद पुर्तगीजों ने जब दानह को खाली नहीं किया, तब मुक्ति के लिए बड़ा संग्राम हुआ। दानह को मुक्त कराने में महाराष्ट्र एवं गोवा के स्वयंसेवकों की अहम भूमिका रही। स्वयंसेवको ने दादरा को 22 जुलाई 1954 व सिलवासा, खानवेल को 2 अगस्त 1954 को मुक्त कराया था, जो इतिहास में मुक्ति दिवस के नाम से प्रसिद्ध है। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के प्रयासों से 11 अगस्त 1961 में इसे संघ प्रदेश के रूप में भारतीय गणतंत्र में शामिल किया। दादरा मुक्ति दिवस के मौके पर गांव में स्वच्छता अभियान की शुरुआत की। मुक्ति दिवस के मौके पर सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने वापी रोड, ग्राम पंचायत, कम्यूनिटी हॉल व पुलिस आउटपोस्ट के आसपास साफ-सफाई भी की।
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