scriptRecession News; मंदी में ऋण की किस्त चुकाना हुआ मुश्किल | Difficult to repay loan installment in recession | Patrika News

Recession News; मंदी में ऋण की किस्त चुकाना हुआ मुश्किल

locationसूरतPublished: Sep 19, 2019 06:33:03 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

ब्याजखोरों के चंगुल में फंस रहे ट्रांसपोर्टरवाहन मालिकों की तकलीफ दूर करने के लिए सक्रिय हुआ एसोसिएशन

Recession News; मंदी में ऋण की किस्त चुकाना हुआ मुश्किल

Recession News; मंदी में ऋण की किस्त चुकाना हुआ मुश्किल


वापी. मंदी (recession) की मार झेल रहे छोटे ट्रांसपोर्टर (Small transporter) और वाहन मालिक ब्याजखोरों के चंगुल में फंस रहे हैं। गाडिय़ों की किस्त टूटने से बचाने के लिए ब्याज पर रुपए लेने को विवश हो रहे हैं। कई ट्रांसपोर्टरों (transporters) के अनुसार बीते दिनों किस्त टूटने के बाद कई फाइनेन्सरों द्वारा गाडिय़ां जब्त करने की धमकी मिल चुकी है। इसके कारण लोन पर वाहन लेने वालों की हालत खराब हो रही है। ट्रांसपोर्ट उद्योग में आई मंदी से परेशान ट्रासंपोर्टरों की समस्या को समझते हुए ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन सक्रिय हुआ है। गत दिनों नई दिल्ली में ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन द्वारा किस्त न भर पाने वालों से ब्याज न लेने की मांग की खबर भी आई थी। इसने यहां भी एसोसिएशन को विचार करने को मजबूर किया है।
ट्रांसपोर्ट उद्योग में आई भारी मंदी से वापी (vapi)के ट्रांसपोर्ट उद्योग में करीब 50 से 60 प्रतिशत कमी आई है। इस संबंध में पत्रिका ने मंदी ने तोड़ी ट्रांसपोर्ट उद्योग की कमर शीर्षक से खबर छापकर उद्योग से जुड़े लोगों की परेशानी उजागर की थी। खबर छपने के बाद कई लोगों ने जो हालात बताए उससे पता चलता है कि छोटे-छोटे ट्रांसपोर्टरों से लेकर एक-दो वाहनों के मालिकों की हालत दिनों दिन दयनीय होती जा रही है। सबसे ज्यादा चिंता लोगों को वाहन का लोन भरने को लेकर है। कारोबार में आई गिरावट के कारण कइयों की किस्त टूट गई है। वहीं बहुत से लोगों ने ब्याज पर रुपए उठाकर किस्त भर दी, लेकिन गाडिय़ों के खड़ा रहने से ब्याज की रकम देना भी मुश्किल लग रहा है। इस उद्योग से जुड़े लोगों की मानें तो कई ट्रांसपोर्ट वाले भी अधिक ब्याज पर रुपए देने का काम करते हैं। उनके लिए यह किसी मौके से कम नहीं है। लेकिन वह भी जल्दी रुपए नहीं दे रहे हैं। उसे ही दे रहे हैं जिससे उन्हें रुपए जल्दी मिलने की उम्मीद है।
लोन ले तो लिया, हफ्ता भरने की चिंता
दो गाडिय़ों के मालिक विक्रम वर्मा ने बताया कि गाडिय़ां चलती हैं तो भी लोन भरने में दिक्कत आती रहती है। पिछले कुछ माह से हालात ज्यादा खराब होने पर जैसे तैसे लोन भर रहा था। इस बार ब्याज पर रुपए लेकर लोन जमा करना पड़ा। प्राइवेट फाइनेन्सर होने के कारण हफ्ता टूटने पर वाहन जब्त करने की धमकी मिलनी शुरू हो जाती है। बड़े अनुरोध पर सात प्रतिशत की दर से ब्याज पर रुपए लेकर लोन जमा किया। अब ब्याज की चिंता सता रही है। ब्याजखोरों का रुपया न देने पर मारपीट और जबरन संपत्ति कब्जा करने की खबरों को पढक़र मन बहुत चिंतित हो जाता है। उन्होंने बताया कि यह स्थिति कई लोगों के साथ है। उनकी जानकारी में ही कई लोगों ने ब्याज पर रुपए लेकर यह काम किया है।
Recession News; मंदी में ऋण की किस्त चुकाना हुआ मुश्किल
ड्राइवर एवं कंडक्टर की हालत भी पतली
ट्रांसपोर्टरों और वाहन मालिकों के साथ वाहन चालकों व क्लीनरों की हालत भी पतली है। चालक रामानंद यादव ने बताया कि ड्राइवरों को वेतन के अलावा दैनिक भत्ता या निर्धारित रूट पर चलने के दौरान फिक्स खर्चा मिलता है। माल सामान मिलता रहता है और वाहन का चक्कर लगने पर दिक्कत नहीं होती। आज 10 से 15 दिन तक वाहन खड़े रहते हैं, क्योंकि माल नहीं मिल रहा है। ऐसे में फिक्स खर्चा वाले चालकों की हालत पतली हो गई है। भत्ते वाले ड्राइवर के लिए भी समस्या खड़ी हो गई है। क्योंकि वाहन खड़ा रहने पर मालिक भी कितने दिन रुपए दे पाएगा। बड़ी मितव्ययता के साथ काम चला रहे हैं। हमेशा नियमित ट्रांसपोर्ट में चलने वाले चालकों को कुछ मदद मिल रही है। लेकिन कभी कभार आने वाले वाहन चालकों की हालत तो दयनीय हो रही है।
एसोसिएशन हुआ सक्रिय
ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (Transport Association) के पूर्व अध्यक्ष अरविन्द शाह ने बताया कि वाकई में हालत ठीक नहीं है। राजस्थान पत्रिका में तीन दिन पहले छपी खबर के बाद ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के कई पदाधिकारियों से चर्चा कर इस हालत में ट्रांसपोर्टरों व वाहन मालिकों को कुछ राहत दिलाने के लिए चर्चा की गई है। कई लोगों से यह पता चला है कि लोन की किस्त टूटने पर वाहन जब्त करने से लेकर फाइनेन्सरों द्वारा धमकी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही एक बैठक की जाएगी। उसके बाद कलक्टर से मिलकर उनके माध्यम से बैंकों एवं प्राइवेट फाइनेन्सरों से लोन की किस्त टूटने पर ब्याज न लेने के लिए समझाने का अनुरोध किया जाएगा। जितनी किस्त टूटती है उसे लोन की समयावधि से आगे बढ़ाने का अनुरोध किया जाएगा। इसके अलावा अन्य किस तरीके से लोगों की मदद कर सकते हैं, इस पर विचार होगा।

ट्रेंडिंग वीडियो