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सूरत

अब चाय की चुस्कियों पर होगी हार-जीत की चर्चा

23 मई से पल-पल बदलेगा अटकलों का गणित

सूरतApr 24, 2019 / 10:34 pm

विनीत शर्मा

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अब चाय की चुस्कियों पर होगी हार-जीत की चर्चा

सूरत. लोकसभा चुनाव के लिए मतदान और मतगणना के लंबे अंतर ने सूरत समेत प्रदेशभर के मतदाताओं को एक महीने तक चर्चा का विषय दे दिया है। 23 मई को परिणाम आने से पहले तक प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला चाय की चुस्कियों पर होगा और परिणाम पल-पल बदलेंगे। मतदान के बाद से लोगों में ऐसी चर्चाएं होने लगी हैं। दक्षिण गुजरात में बारडोली, वलसाड और भरुच सीटों पर जहां हार-जीत लोगों के बीच चर्चा का विषय है, सूरत और नवसारी सीटों पर लोग भाजपा की लीड को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
हर चुनाव के बाद परिणाम आने से पहले प्रत्याशियों के भाग्य पर फैसला सुनाना मतदाताओं का शगल बन गया है। मतदान संपन्न होने के बाद गली-मोहल्लों की चौपाल या चाय-नाश्ते की लारियों पर मजमा जमता है तो लोग अपने समर्थक प्रत्याशियों के पक्ष में फैसला सुनाने लगते हैं। इस फैसले को तर्कसंगत साबित करने के लिए उनके पास मतदान के आंकड़ों के साथ ही पक्ष में बह रही कथित हवा और दूसरे कई परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद रहते हैं। यह चिंतन उन मंझे हुए राजनीतिक विश्लेषकों को भी मात देता है, जो बरसों से इसी काम में लगे हैं। सूरत में मंगलवार शाम से कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। मतदान के दिन मंगलवार को हीरा कारोबार बंद था, इसके बावजूद महिधरपुरा और वराछा में हीरा बाजार के बाहर हीरा कारोबार से जुड़े लोगों का मजमा जुटा था। मतदान प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही सूरत और नवसारी सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की लीड को लेकर कयास लगने शुरू हो गए थे।
कमोबेश यही नजारा शहरभर में देखने को मिला। चाय की लारियां हों या सोसायटी-अपार्टमेंट के ओपन स्पेस, हर जगह जहां चार लोग खड़े हुए, चुनाव का परिणाम ही चर्चा के केंद्र में रहा। चुनाव के दौरान सूरत से बाहर नहीं निकले लोग भी प्रदेशभर की 26 सीटों पर फैसला सुनाने को तैयार हैं। लोगों की चर्चा का मुख्य फोकस दक्षिण गुजरात है। लोगों की हार-जीत का गणित दक्षिण गुजरात की बारडोली, वलसाड और भरुच सीट पर गड़बड़ा रहा है। इसके पक्ष-विपक्ष में लोगों के अपने तर्क हैं और उन्हीं के आधार पर फैसले भी सुनाए जा रहे हैं। इन चर्चाओं का सिलसिला 23 मई को परिणाम आने के बाद ही थमेगा।
भरुच भी बन गई है हॉट सीट

चाय पर चल रही चर्चाओं के दौरान जहां सूरत और नवसारी के परिणामों को लेकर उदासीनता रही, बारडोली और वलसाड के साथ ही भरुच सीट को लेकर लोगों में ज्यादा उत्सुकता दिखी। चर्चा के केंद्र में भी यही सीटें रहीं। इसके अलावा शहर के लोग दो केंद्र शासित प्रदेशों की दो सीटों दमण-दीव और दानह के परिणाम पर चर्चा में मशगूल रहे। भरुच और दानह की सीटें तिकोने मुकाबले में फंसी हैं। भरुच में छोटू वसावा और दानह में मोहन डेलकर के कारण मुकाबला रोचक हो गया है। त्रिकोणीय संघर्ष में दोनों प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस में से किसका खेल बिगाड़ेंगे, इस पर अटकलें लगाई जा रही हैं। भरुच में भाजपा के मनसुख वसावा और कांग्रेस के शेर खान के साथ छोटू वसावा भी हैं। छोटू वसावा से जहां भाजपा के आदिवासी मतों में बिखराव की बात कही जा रही है, कांग्रेस के लिए भी परंपरागत आदिवासी मत छिटकने का खतरा खड़ा हो गया है।

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