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दानह के कई गांवों में पेयजल की किल्लत

locationसूरतPublished: May 10, 2019 11:12:25 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

जिला पंचायत ने पेयजल के टैंकर बढ़ाए, फिर भी नहीं बुझ रही प्यास

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दानह के कई गांवों में पेयजल की किल्लत


सिलवासा. भीषण गर्मी के चलते गांवों और फलियों के ग्रामीण पेयजल संकट झेलने को मजबूर हैं। प्रदेश की 20 ग्राम पंचायतों में करीब आधे गांवों में पेयजल की किल्लत है। जिला पंचायत ने पेयजल के टैंकर बढ़ाए हैं, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सप्लाई से जरूरत का 25 फीसदी भी नहीं मिल पा रहा है। नदी, जलाशय सूखने से पर्वतीय क्षेत्रों के गांव कु ओं एवं अन्य स्रोतों से पानी ला रहे हैं।
प्रदेश के शेल्टी, रूदाना, गोरातपाड़ा, खेररबाड़ी, अंबाबाड़ी, हेडवाचीमाण, सिंदोनी, मांदोनी, खेड़पा, बेड़पा, चिंसदा, पारजाई, खेरड़ी आदि गांवों में टैंकरों से पानी की आपूर्ति हो रही है। गर्मी बढऩे से पानी की अवश्यकता बढ़ी है तथा इसके विपरीत आपूर्ति का जल कम पड़ गया है, जिससे ग्रामीण गहरे कुओं, नदी नालों के पानी पर आश्रित हो गए हैं। रूदाना में सरकारी गहरे कुएं से पानी निकालकर पी रहे हैं। गर्मी बढऩे के साथ सरकारी कुएं में पानी कम हो गया है। हेडवाचीमाण, खेररबारी, जमालपाड़ा, बेड़पा में कुएं और बोरवेल जबाव दे चुके हंै। इन गांवों में चेकडेम और नदियां सूख जाने से सरकारी आपूर्ति पानी का विकल्प रह गया है। गांव की बुजुर्ग राधू पागी, धाकुल पागी कहती हैं कि पानी का टैंकर तीन दिन में एक बार आता है, जिससे जरूरत का 25 प्रतिशत भी पानी नहीं मिलता है। खेरड़बारी में लोग दूर-दूर से पानी लाते हैं। सबसे अधिक संकट सिंदोनी ग्राम पंचायत के गांवों का है। यहां के ग्रामीण टैंकर पहुंचते ही पानी लेने पहुंच जाते हैं। गांव के समाजसेवी मनजी टोकरे का कहना है कि दूधनी प्रॉजेक्ट से सिंदोनी में जल सप्लाई नहीं हो रही है।
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मैदानी क्षेत्रों में जलसंकट
दपाड़ा, सुरंगी, आंबोली, रांधा के मैदानी गांव भी पानी के लिए तरस रहे हैं। इन गांवों का भूमिगत पानी रसातल में चला गया है। दपाड़ा में गहरे कुओं से पानी लेने महिलाएं दूर-दूर जाती हैं। वासोणा, खडोली, चिचपाड़ा के बोरवेल व कुओं में पानी कम हो गया है। जिला पंचायत द्वारा खोदे गए बोरवेल अब सूख गए हैं। कार्यकारी इंजीनियर के बी वालंद ने बताया कि गर्मी और धूप से पानी की जरूरत बढ़ी है। गांवों में आपूर्ति के टैंकर बढ़ा दिए हैं। पानी के अभावग्रस्त गांवों में पानी टैंकरों से आपूर्ति हो रही है। अभावग्रस्त गांवों में प्लास्टिक की टंकियां रखी हैं, जिसे रूटीन से पानी भरा जाता है।

मधुबन डेम के पड़ोसी गांव प्यासे
मधुबन डेम के आसपास बसे गांव भी पानी के लिए तरस रहे हैं। कौंचा हद पर एस्टोल, उमाला, केस्टी पिस्तरी जंगल, अंबा जंगल, गिरनारा, बालघर, कुकडिय़ा, टुकवाड़ा, वलोली, फनी, नांदगांव, वेरीगुवाड़ा में पेयजल की भारी किल्लत है। नहरों के अभाव से इन गांवों में भू-जल पाताल में पहुंच गया है। ग्रामीण दूर-दूर से पानी लाने के लिए मजबूर हैं। मधुबन डेम के जलक्षेत्र में आधा हिस्सा महाराष्ट्र के गांवों का है। यहां से वापी, दमण, उमरगांव, पारडी और वलसाड को पानी मिलता है। डेम निर्माण से पांच गांव विस्थापित हुए थे, जहां डेम से नहरें नहीं पहुंची हैं। पड़ोसी अंबा जंगल, सुतारपाड़ा, गिरनारा, बालघर, कुकडिय़ा, टुकवाड़ा, वलोली, फनी, नांदगांव, वेरीगुवाड़ा आदि गांवों के लोग पेयजल के लिए परेशान हंै। इन गांवों में टैंकर से पानी की आपूर्ति हो रही है। ग्रामवासियों का कहना है कि मधुबन डेम से नहरों के लिए पानी छोडऩे के लिए गुजरात सरकार को कई बार अवगत कराया है, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है।

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