scriptवासंदा के खाटाआंबा गांव में पेयजल का संकट | Drinking water crisis in Vaasanda's Khataaamba village | Patrika News

वासंदा के खाटाआंबा गांव में पेयजल का संकट

locationसूरतPublished: May 04, 2019 08:47:49 pm

Submitted by:

Sunil Mishra

1000 लीटर पानी के 300 रुपए चुकाने पड़ रहे

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वासंदा के खाटाआंबा गांव में पेयजल का संकट


वांसदा. कुदरती सौंदर्य के बीच घिरे वांसदा को कुदरत ने सुंदरता तो दी है, लेकिन साथ ही पानी की समस्या से जूझना यहां के लोगों की नीयत बन गई है। होली के आसपास के दिनों से ही वांसदा के खाटाआंबा के लोगों को पानी के लिए मुसीबत झेलनी पड़ती है।
आजादी के कई सरकारें आई। सबने विकास के नाम पर राजनीति की, लेकिन अभी तक इन क्षेत्रों में पानी जैसी प्राथमिक आवश्यकता की सुध लेने के लिए भी किसी सरकार के पास सुध नहीं है। पानी की समस्या इतनी बढ़ गई है कि यहां के लोगो को अपने खर्च से पानी का टैंकर मंगाना पड़ रहा है। 1000 लीटर पानी के 300 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं। गांव के लोगों के पास पानी एकत्र करने के लिए टंकी नहीं होने से भी पानी की समस्या और बड़ी हो गई है। गांव के लोगों ने इस बारे में सरपंच को बताया, लेकिन सरपंच ने आचार संहिता लागू होने के कारण पानी के टैंकर का खर्च लोगों को ही उठाना पड़ेगा, ऐसा स्पष्ट कह दिया। बताया जा रहा है कि पानी की समस्या यहां होली से चार महीने तक बरकरार रहती है। यहां 6000 लोगों की बस्ती है और बड़ी संख्या में पशुधन होने के बाद भी प्रशासन को यहां के लोगों की कोई परवाह नहीं है। नई वसाहत फलीया, जामनीना माड़ फलिया, कावसीपाड़ा फलिया, गारमाथा फलिया, बाबुनिया फलिया, पारसी फलिया, चारमूली फलिया, डुंगरी फलिया, चारमूली फलिया, बोडीपाड़ा फलिया, सोमारपाड़ा फलिया आदि में जल संकट ज्यादा गंभीर है।
प्रशासन का प्रयास असफल
पानी की समस्या को दूर करने के लिए खाटाआंबा गांव के लोगों को दो किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है। इसके लिए वाहन का खर्च भी ज्यादा पड़ रहा है। प्रशासन ने गांव के लोगों की समस्या को दूर करने के लिए यहां कई बोर भी किए थे, लेकिन वह सफल नहीं रहे। यहां पर 700 फीट तक नीचे खोदने के बाद भी पानी मिलने की गारंटी नहीं है। गांव के लोगों का कहना है कि जूज डेम यहां से दो किलोमीटर है। यहां से पाइपलाइन की व्यवस्था की जाए तो पानी का समस्या हल हो सकती है। यह डेम 167.50 मीटर पर ओवरफ्लो होता है, लेकिन इन दिनों यहां पर 27.58 मीटर पानी है। इस डेम से 0.87 प्रतिशत पानी पीने के लिए आरक्षित किया गया है। सिंचाई का पानी छोडऩे के बाद भी पानी बचता है। यदि इस डेम की ऊचांई बढ़ा दी जाए तो लोगों की समस्या हल हो सकती है।

पाइपलाइन से मिल सकती है सुविधा
खाटाआंबा गांव में होली के बाद से ही पानी की समस्या शुरू हो जाती है। यहां से जूज डेम दो किलोमीटर ही दूर है। यदि अच्छी व्यवस्था की जाए और पाइपलाइन बिछा दी जाए तो समस्या दूर हो सकती है।
शांतिबेन सुरेशभाई, सरपंच, खाटाआंबा गांव
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