पेयजल किल्लत
भीषण गर्मी और धूप से पर्वतीय गांवों में पेयजल समस्या विकराल हो गई है। ग्रामीण विस्तारों में बहने वाली नदी नाले, चेकडेम, जलाशयों में पानी कम हो गया है। पर्वतीय गांवों में पेयजल की स्थिति ज्यादा गंभीर हैं। गर्मी में रांधा, खानवेल, रूदाना, मांदोनी, सिंदोनी, खेरड़ी, आंबोली पंचायत के ग्रामीण सप्लाई के पानी पर आश्रित होकर रह गए हंै। ग्रामीणों ने बताया कि रूदाना, शेल्टी, गोरतपाड़ा, तलावली और उमरवरणी के बोरवेल भी जबाव दे दिए हैं। कुंओं में भी पानी नहीं रहा। रूदाना से सिंदोनी तक टैंकर से पानी सप्लाई हो रहा है। गांव के छनिया गरेल, सुखाली बेन ने बताया कि गर्मी आते ही चेकडेम और तालाब सूख गए। जरूरत के मुताबिक पानी नहीं मिलने से लोग पानी की बंूद-बूंद की कीमत समझने लगे हैं। टैंकर से जरूरत का आधा पानी भी नहीं मिल रहा है। ग्रामीण कुएं, नदी-जलाशयों से पानी लाकर जरूरते पूरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हेडवाचीमाण के लोग रात को कुंओं में रिसते पानी के लिए पहुंच जाते हैं।
अगले माह से हो जाएगी गंभीर स्थिति
अगले माह गर्मी में पानी की किल्लत ज्यादा गंभीर होगी। गांव के निवासियों ने बताया कि सन् 2000 तक कुंओं में पानी की कमी नहीं थी, इसके बाद बोरवेल और कुओं का जलस्तर तेजी से गिरा हैं। यहां सांसद निधि से बने बोरवेल में भी पानी नहीं है।
सरकारी टैंकर से पानी की आधी जरूरत पूरी नहीं हो रही है। गांव के निवासी दूर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। अब तो मैदानी क्षेत्र दपाड़ा, सुरंगी, रखोली के बोरवेल जबाव देने लगे हैं। यहां के अधिकतर गांव आपूर्ति के पानी पर आश्रित हो गए हैं। इलाके में बहने वाली साकरतोड़ नदी पूरी तरह सूख गई है।
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अगले माह गर्मी में पानी की किल्लत ज्यादा गंभीर होगी। गांव के निवासियों ने बताया कि सन् 2000 तक कुंओं में पानी की कमी नहीं थी, इसके बाद बोरवेल और कुओं का जलस्तर तेजी से गिरा हैं। यहां सांसद निधि से बने बोरवेल में भी पानी नहीं है।
सरकारी टैंकर से पानी की आधी जरूरत पूरी नहीं हो रही है। गांव के निवासी दूर दूर से पानी लाने को मजबूर हैं। अब तो मैदानी क्षेत्र दपाड़ा, सुरंगी, रखोली के बोरवेल जबाव देने लगे हैं। यहां के अधिकतर गांव आपूर्ति के पानी पर आश्रित हो गए हैं। इलाके में बहने वाली साकरतोड़ नदी पूरी तरह सूख गई है।
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